25) मुहब्बत है तुमसे…
सही है यह और यकीं भी है मुझे,
मेरे हो तुम और चाहते हो तुम मुझे।
यह इल्म भी है मगर दिल को,
कि दूर हो जाओगे तुम देकर गम दिल को।
मिलन मुमकिन नहीं इस जन्म में, न सही,
जिस्म न मिले तो क्या, दिल मिल गए,
चलो यही सही।
एहसास होता है जब भी दिल को तुम्हारी मुहब्बत का
और बढ़ जाता है एहसास तुमसे मुहब्बत का।
समझाती हूँ दिल को, बहलाती हूँ बहुत मगर,
दे जाता है कमबख़्त इक मीठा दर्द मुहब्बत का।
दीवानावर दिल तब घूमता है,
झूमता है, उड़ता है,
चाहता है बयां कर देना हकीकत ज़माने को।
पुकारना चाहता है तुम्हारा नाम हर एक के रूबरू,
हक चाहता है तुम्हारा नाम लेकर जीने का यह।
बेखुदी में कह उठता है यह नादान,
हाँ, मुझे मुहब्बत है, मुहब्बत है,
मुहब्बत है तुमसे।
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नेहा शर्मा ‘नेह’