25. इश्किया फ़रवरी
देखो! झूठे इश्क़ की फ़रवरी आ गयी।
पैसों से निभाने ये रिश्तेदारी आ गयी।।
मुहब्बत में तो लग गया अब चार चाँद।
आशिक़ों की ज़ुबाँ पर शायरी आ गयी।।
मुहब्बत में मुहब्बत तो दिखती ही नहीं।
जज़्बातों में देखो सौदागरी आ गयी।।
इश्क़ हुआ बेचारा तोहफ़े का मोहताज।
बग़ैर इसके इश्क़ में लाचारी आ गयी।।
इश्क़ बिका इश्क़ को ख़रीदने के वास्ते।
पूरे महीने इश्क़ की महामारी आ गयी।।
मुनाफ़ा-ए-इश्क़ आशिक़ों को दिखा कर।
दुकानों में ख़ूब कालाबाज़ारी आ गयी।।
बाज़ारवाद के नाम हुआ ये वैलेंटाइन भी।
फ़िर इश्क़ की देखो गिरफ़्तारी आ गयी।।
मो• एहतेशाम अहमद
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया