कोई कमी जब होती है इंसान में...
परछाईयों की भी कद्र करता हूँ
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
24/494.💐 *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका* 💐
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
"खूबसूरत आंखें आत्माओं के अंधेरों को रोक देती हैं"
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
तुम्हे तो अभी घर का रिवाज भी तो निभाना है
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
गणपति वंदना (कैसे तेरा करूँ विसर्जन)
रतन महान , एक श्रद्धांजलि