कभी हमको भी याद कर लिया करो
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
जो न चाहे दिल वही अपनाना पड़ता है यहाॅं
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
अगर कोई इच्छा हो राहें भी मिल जाती है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ढूँढू मैं तुम्हे कैसे और कहाँ ?
*जो सजे मेज पर फल हैं सब, चित्रों के जैसे लगते हैं (राधेश्या
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
ग़ज़ल __ "है हकीकत देखने में , वो बहुत नादान है,"