जिस सफर पर तुमको था इतना गुमां
Lamhon ki ek kitab hain jindagi ,sanso aur khayalo ka hisab
"खुद का उद्धार करने से पहले सामाजिक उद्धार की कल्पना करना नि
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता मे रहा
पर को दुख दे सुख जिन्हें, सुखी रहें वे लोग।
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
माँ की ममता,प्यार पिता का, बेटी बाबुल छोड़ चली।
परेशानी बहुत ज़्यादा है इस दुनिया में जीने में
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।