बाजार आओ तो याद रखो खरीदना क्या है।
*सखी री, राखी कौ दिन आयौ!*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
मेरे बुरे होने में एक बात यह भी है कि।
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने।
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
* फर्क दिलों-जिस्म में हो ना *
कितना भी कह लूं, कहने को कुछ न कुछ रह ही जाता है
सुनो रे सुनो तुम यह मतदाताओं
वो लिखती है मुझ पर शेरों- शायरियाँ
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,