2451.पूर्णिका
2451.पूर्णिका
🌷पास आकर मंजिल दूर चली जाती है🌷
2122 22 22 22 22
पास आकर मंजिल दूर चली जाती है ।
जिंदगी से अरमाँ दूर चली जाती है ।।
तोड़कर दिल कोई अपना कहते देखो ।
गमजदा यूं मुहब्बत दूर चली जाती है ।।
बरसते बेमौसम बादल जब तब यारों ।
बेहया हर खुशियाँ दूर चली जाती है ।।
मचलते कब दुनिया में खौफजदा मंजर ।
नेकिया भी सारी दूर चली जाती है ।।
फूल खिलते हैं चमन महकते है खेदू ।
प्यार की ये बगियां दूर चली जाती है ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
29-8-2023 मंगलवार