Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
"आज मैं काम पे नई आएगी। खाने-पीने का ही नई झाड़ू-पोंछे, बर्तन
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
पा रही भव्यता अवधपुरी उत्सव मन रहा अनोखा है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
न छुए जा सके कबीर / मुसाफिर बैठा
इश्क के कई जहाजों सहित.. डूब के किनारे पर आए हैं हम...!!
ऐसी दौलत और शोहरत मुझे मुकम्मल हो जाए,
क़त्ल कर गया तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है-
कभी तू ले चल मुझे भी काशी
जन्मदिन के मौक़े पिता की याद में 😥