मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
दुआओं में जिनको मांगा था।
लेखन की पंक्ति - पंक्ति राष्ट्र जागरण के नाम,
Anamika Tiwari 'annpurna '
कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।।
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
*काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्
"रेलगाड़ी सी ज़िन्दगी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
**** फागुन के दिन आ गईल ****