2434.पूर्णिका
2434.पूर्णिका
🌹दायरे से बाहर निकल आते🌹
2122 2212 22
दायरे से बाहर निकल आते ।
जिंदगी क्या कैसें अकल आते।।
यूं न करता इंसान नादानी ।
नेकियों से होकर सफल आते ।।
सच परिंदे बेखौफ उड़ते हैं ।
काश हमको भी कुछ नकल आते ।।
मंजिलें है अरमान पाले चल ।
देख खुशियाँ दिल में मचल आते ।।
महकती है महफिल यहाँ खेदू ।
सब सुनाते प्यारे गजल आते ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
16-8-2023बुधवार