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पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
करनी थी उनसे अभी, पागल दिल की बात ।
खामोशी के दौर में, साँसों का था शोर –
मधुर मदन आवेग में , बहक गए जज्बात ।
सुशील सरना
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पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
करनी थी उनसे अभी, पागल दिल की बात ।
खामोशी के दौर में, साँसों का था शोर –
मधुर मदन आवेग में , बहक गए जज्बात ।
सुशील सरना