2407.पूर्णिका
2407.पूर्णिका
अब तुम ना बदलोगे
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चाहे जो हो जाए।
अब तुम ना बदलोगे।।
काँटो का पथ हरदम ।
यूं बढ़ते जाओगे ।।
प्यार यहाँ फितरत में ।
खूं देते जाओगे ।।
दुनिया महकेगी सच ।
सब करते जाओगे ।।
शान निराली खेदू ।
नव रचते जाओगे ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
22-7-2023शनिवार