जाये तो जाये कहाँ, अपना यह वतन छोड़कर
जन्माष्टमी विशेष - फिर जन्म लेना
कोई अज्ञात सा भय जब सताता है,
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'