Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2024 · 1 min read

24/251. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*

24/251. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 मोर बात ला मान लेतेस 🌷
2121 221 221
मोर बात ला मान लेतेस।
मीत दरद ला जान लेतेस।।
देत लेत बोली न हे बचन ।
अपन धरम ला ठान लेतेस।।
महकत गउ सुनता इहां देख।
सुघ्घर नेंव ला खान लेतेस।।
का हियाव होथे करत कोन ।
हिरद अपन ला छान लेतेस।।
सुघ्घर बाट खेदू जिहां राख ।
कर नियाव ला तान लेतेस।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
06-03-2024बुधवार

89 Views

You may also like these posts

जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
Rj Anand Prajapati
सिर्फ तुम
सिर्फ तुम
Rambali Mishra
साइस और संस्कृति
साइस और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
मानवता
मानवता
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
मां
मां
Phool gufran
*शिव स्वरूप*
*शिव स्वरूप*
Priyank Upadhyay
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
Rajesh Kumar Arjun
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
Ashwini sharma
*करते सौदा देश का, सत्ता से बस प्यार (कुंडलिया)*
*करते सौदा देश का, सत्ता से बस प्यार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अमर कलम ...
अमर कलम ...
sushil sarna
■ आज का शेर शुभ-रात्रि के साथ।
■ आज का शेर शुभ-रात्रि के साथ।
*प्रणय*
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सोलह श्रृंगार कर सजना सँवरना तेरा - डी. के. निवातिया
सोलह श्रृंगार कर सजना सँवरना तेरा - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
"मत भूलो"
Dr. Kishan tandon kranti
मनभावन जीवन
मनभावन जीवन
Ragini Kumari
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
3319.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3319.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
शीत ऋतु
शीत ऋतु
Sudhir srivastava
लिखने का आधार
लिखने का आधार
RAMESH SHARMA
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
सत्य कुमार प्रेमी
ममत्व की माँ
ममत्व की माँ
Raju Gajbhiye
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
विकास शुक्ल
क्या क्या बदले
क्या क्या बदले
Rekha Drolia
चुन लेना
चुन लेना
Kavita Chouhan
अकेले हैं ज़माने में।
अकेले हैं ज़माने में।
लक्ष्मी सिंह
ग़र हो इजाजत
ग़र हो इजाजत
हिमांशु Kulshrestha
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
Atul "Krishn"
*🌸बाजार *🌸
*🌸बाजार *🌸
Mahima shukla
Loading...