24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/234. छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
🌷 कोनो भागमानी होथे🌷
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कोनो भागमानी होथे।
कोनो लागमानी होथे।।
बिरथा का इहां जिनगी मा।
खावत तात पानी होथे।।
संसो फिकर झन कर संगी ।
काहत बस कहानी होथे ।।
बेरा के इहां संग चलव ।
ननपन ले जवानी होथे।।
दुनिया रंग रहिथे बदलत ।
देखे बर सियानी होथे ।।
नोहे गउ ठट्ठा सच खेदू।
बइरी मा मितानी होथे ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
01-02-2024गुरुवार