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19 May 2023 · 1 min read

24. ऐ हमसफ़र !

माँगा ख़ुदा से तुझे हर दिन, हर पहर है।
तभी तो हुआ मेरी दुआओं का इतना असर है।।

तारों ने भी किया साज़िशें हमें मिलाने का।
फिर पाया तेरे जैसा मैं ने इक प्यारा हमसफ़र है।।

रास्ते हमवार न थें अपनी इस ज़िंदगी में।
मिला जो हाथ तेरा मुझे तो आसाँ हुई हर डगर है।।

तेरे मिलने से हुई परेशाँ मेरी किस्मत भी।
जब मेरे इन हाथों की लकीरों में हुई तेरी बसर है।।

चाँद भी उस अम्बर से ये देख है रूठ गया।
जो दूसरा इक हसीं चाँद आया फ़क़त मेरे घर है।।

ठोड़ी खुशियाँ, थोड़े ग़म साथ बाँट लेंगे हम।
बस काटना इस तरह से ज़िन्दगी का ये सफ़र है।।

ख़ुदाया! रखना हमें हमेशा तू अपनी पनाह में।
तेरी रहमतों से खुशियाँ इस ज़िन्दगी में मयस्सर है।।

मो• एहतेशाम अहमद
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया

Language: Hindi
172 Views
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