24)”मुस्करा दो”
क्यूँ बैठे हो उदास,बीत जाएगा यह आज,
कल तुमने देखा,आज सहेजा, कल किसने देखा..
न कोई राज़, न कोई साज़, सुलझ जाएँगे काज।
मन को समझा लो,तुम मुस्करा दो….
मुश्किल आन पड़ी तो क्या हुआ?
मन को सींचो ग़र गड़ा हुआ।
रात कब रुकी न सवेरा रूका हुआ।
वक्त ही तो है,पहचान लो।
तुम मुस्करा दो….
परिस्थितियाँ लेती है इम्तिहान,
सांसारिक बंधन है प्रधान।
शक्ति का कर लिया ग़र आग़ाज़,
दुनिया हिला देगा यह अन्दाज़।
दर्द को बनाओ दवा,सितम ढा लो,
समझ से कैद दश्त की छुड़ा लो।
क्यूँ बैठे हो उदास,बीत जाएगा आज
बस…
तुम मुस्करा दो….
अपना पराया,दुनिया ने ही दिखाया,
ख़ुद पर ग़र भरोसा, फिर न टूट पाया।
जाने अनजाने,रास्ते सामने,खड़े दीवाने,
मंज़िल के साथी सारे,कोना कोना पहचानें।
पहचान बना लो, ख़ुद को संवार लो,
न हो उदास,बीत जाएगा आज,
मुश्किलें आयेंगी,मुश्किलें जायेंगी,
मन को समझा लो,तुम मुस्करा दो…
✍🏻स्व-रचित/मौलिक
सपना अरोरा।