2387.पूर्णिका
2387.पूर्णिका
🌹देखने का अंदाज अलग होता है🌹
2122 2212 1222
देखने का अंदाज अलग होता है ।
आजकल सबका आज अलग होता है ।।
खुशनुमा मौसम भी यहाँ नहीं रहता ।
कुदरती ये शहनाज अलग होता है ।।
फूल खिलते हैं तो चमन महकते हैं ।
ताजगी में सरताज अलग होता है ।।
साथ अपनों का हो वहाँ खुशी मिलती।
देख अपना हमराज अलग होता है ।।
जिंदगी में खेदू भला बुरा सब है ।
सोचते नेक समाज अलग होता है ।।
………….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
9-7-2023रविवार