2381.पूर्णिका
2381.पूर्णिका
🌹हमने जीने का ढंग देखें 🌹
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हमने जीने का ढंग देखे।
ये जीवन सबका तंग देखे ।।
हसरत अपनी चाहत अधूरी ।
बस पाले लोग उमंग देखे।।
हरदम डूबे शोक में सब ।
उठती लहरें न तरंग देखे।।
सच ना जाने सच झूठ बोले ।
बदले मौसम का रंग देखे ।।
जीते हारे इंसान खेदू ।
होते यूं रोज जंग देखे ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
6-7-2023गुरुवार