2345.पूर्णिका
2345.पूर्णिका
🌹टप टप टपके पसीना देखो 🌹
टप टप टपके पसीना देखो ।
तपिश यहाँ आज जीना देखो।।
जीवन बेहाल सबका यारों ।
यूं ठंडी शर्बत पीना देखो ।।
धू धू जलती धरा अब तो ।
फीके फीके नगीना देखो ।।
सच में पारा चढ़ा सूरज का।
सूखे सूखे रवीना देखो ।।
सुलझे बेजान सा चमन जहाँ
मूक हुए अब प्रवीना देखो।।
लू की है कहर जीते खेदू ।।
जग बिखरे से करीना देखो।।
………….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
15-6-2023गुरुवार