2330.पूर्णिका
2330.पूर्णिका
🌹साथ हम भी निभाने लगे 🌹
212 212 212
साथ हम भी निभाने लगे ।
ये जहाँ भी दिखाने लगे ।।
दोस्त है दुश्मन क्या जानते ।
हाथ सब अब मिलाने लगे ।।
प्यार की है बस्ती बस यहाँ ।
खुन्नस दिल से मिटाने लगे।।
रौब अपना कहाँ देखते ।
मन चमन भी खिलाने लगे।।
नेकिया आज खेदू यहाँ ।
प्यास पानी पिलाने लगे ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
4-6-2023रविवार