2324.पूर्णिका
2324.पूर्णिका
🌹तेरे आने से बहार छा गई 🌹
22 22 2121 212
तेरे आने से बहार छा गई ।
अपनी महफिल में बहार छा गई ।।
तुमसे कुछ तो है रिश्ता नहीं यहाँ।
फिर भी अपनापन बहार छा गई ।।
सच में हँसी है मुस्कान है यहीं ।
जीने की अरमाँ बहार छा गई ।।
दुनिया कहती प्यार जिंदगी बने ।
खुशियाँ ही खुशियाँ बहार छा गई ।।
साथी खेदू आज चमक किस्मत की ।
चाहत अब पूरी बहार छा गई ।।
……………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
5-8-2023शनिवार