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23 Jun 2021 · 19 min read

विचार-प्रधान कुंडलियाँ

76 कुंडलियाँ विचार-प्रधान[7/5/2019, 1:59 PM] Ravi Prakash: अक्षय धन( कुंडलिया)
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रहता धन अक्षय कहां , सोना- चांदी नोट
धन में है विकृति भरी , धन में होती खोट
धन में होती खोट , नहीं अक्षय कहलाता
धरा सांस के साथ , धरा पर ही रह जाता
कहते रवि कविराय, सत्य जीवन का कहता
मरते धन धनवान , सदा सोना कब रहता
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश ,मोबाइल 99976 15451
दिनांक : 7 मई 2019 ( अक्षय तृतीया )
[9/6/2019, 9:16 AM] Ravi Prakash: ताजा भोजन (कुंडलिया)
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ताजा भोजन जो मिला ,समझो है वरदान
मिलना इसका भाग्य में, होता क्या आसान
होता क्या आसान , रखा बासी सब खाते
डिब्बा लेकर साथ , काम पर चलकर जाते
कहते रवि कविराय ,वही किस्मत का राजा
रोटी खाता रोज , गर्म जो ताजा- ताजा
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )मोबाइल 99 97 61 5451
[11/6/2019, 9:11 AM] Ravi Prakash: सदा शुभ जेठ दशहरा( कुंडलिया)
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जेठ दशहरा आ गया, देखो इसकी शान
नदियाँ बहती कर रहीं,इसके यश का गान
इसके यश का गान, लगाओ इसमें गोता
जलक्रीड़ा इंसान, कर रहा जो खुश होता
कहते रवि कविराय, नदी पर डालो पहरा
निर्मल नदियाँ नीर, सदा शुभ जेठ दशहरा
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451
[22/6/2019, 5:57 PM] Ravi Prakash: प्रार्थना (कुंडलिया)
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देरी नाथ न कीजिए , आओ मेरे साथ
प्रियतम मेरे मन बसो , ले हाथों में हाथ
ले हाथों में हाथ , प्रेमरस नित्य बहाओ
मेरे घर में देव , डूब भावों में जाओ
कहते रवि कविराय, यही विनती है मेरी
सुनिए करुण पुकार, कीजिए तनिक न देरी
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश, मोबाइल नंबर 999761 5451
[24/6/2019, 12:15 PM] Ravi Prakash: बरसात (कुंडलिया)
???????????
बरसातें लो आ गयीं, मौसम में आह्लाद
टप टप टप पानी गिरा, भीषण गर्मी बाद
भीषण गर्मी बाद, मेघ घिर- घिरकर आए
दिन में जैसे शाम, देख कर मन मुस्काए
कहते रवि कविराय, स्वर्ग-सी हैं दिन रातें
सबसे प्यारा दौर , साल में हैं बरसातें
??????????
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[4/7/2019, 3:03 PM] Ravi Prakash: बादल (कुंडलिया)
????⛈⛈???
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर
शोर मचाते हैं घना , बातों पर है जोर
बातों पर है जोर , खूब सपने दिखलाते
लगता जैसे ढेर , बारिशें लेकर आते
कहते रवि कविराय, शोर करके सो जाना
मेघों का यह खेल, हो गया अब रोजाना
??????????
रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा रामपुर
उत्तर प्रदेश, मोबाइल 999 761 5451
[27/8/2019, 11:00 AM] Ravi Prakash: गगरी (कुंडलिया)
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गगरी कब किसकी भरी, गगरी रही उदास
गगरी भरने की रही , लेकिन सबको आस
लेकिन सबको आस , अधूरी हैं इच्छाएँ
मनचाहे आकाश , दूर कुछ रह- रह जाएँ
कहते रविकविराय,निकट कब पिय की नगरी
जब भी देखूँ झाँक , अधभरी पाई गगरी
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9 99761 5451
[30/8/2019, 8:55 AM] Ravi Prakash: मस्ती( कुंडलिया)
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मस्ती में यदि भीगना, छतरी का क्या काम
फेंको छतरी मन करो , फुल मस्ती के नाम
फुल मस्ती के नाम , नहीं बरसातें रहतीं
जीवन के दिन चार,बिजलियाँ नभ की कहतीं
कहते रवि कविराय ,रखा क्या मँहगी सस्ती
मिल जाए जिस भाव , खरीदो जल्दी मस्ती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[5/9/2019, 10:37 AM] Ravi Prakash: शिक्षक (कुंडलिया )
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असली मालिक देश का , बच्चों का भगवान
शिक्षक के सोचो जरा, हैं कितने अहसान
हैं कितने अहसान, वास्तविक भाग्य विधाता
जैसा शिक्षक आज , देश कल वह बन जाता
जीवन से अँधियार , हटाता दुख की बदली
शिक्षक जिम्मेदार , देश का धन है असली
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451
[21/9/2019, 11:42 AM] Ravi Prakash: करोड़ों वाले लड़ते( कुंडलिया)
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लड़ते वही चुनाव हैं,जिन पर छब्बिस लाख
नोटों से बढ़कर नहीं , होती कोई साख
होती कोई साख , खड़े बिगड़े शहजादे
यह शतरंजी खेल , स्वर्ण के हैं सब प्यादे
कहते रवि कविराय , नोट के संग अकड़ते
क्या गरीब का काम , करोड़ों वाले लड़ते
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
? 99 97 61 54 51
[19/10/2019, 9:33 PM] Ravi Prakash: यात्री (कुंडलिया)
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आए होटल में रहे , ठहरे दिन दो-चार
फिर छोड़ा होटल गए ,अपने सब घर- द्वार
अपने सब घर- द्वार, न अब होटल से नाता
होटल जाता छोड़ ,लौट वापस कब आता
कहते रवि कविराय, नहीं मालिक कहलाए
यात्री सबका नाम , चार दिन रहने आए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[19/10/2019, 9:37 PM] Ravi Prakash: चलते चलते (कुंडलिया )
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चलते चलते मिल गए , अनजाने पथ लोग
कुदरत का सोचा हुआ ,होता यह संयोग
होता यह संयोग, भाग्य ही मित्र बनाता
किस्मत बड़ी महान , जोड़ती सब से नाता
कहते रवि कविराय , दीप जीवन में जलते
बनते रिश्तेदार , मित्र सब चलते – चलते
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[19/10/2019, 9:40 PM] Ravi Prakash: चुनाव (कुंडलिया)
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भारी – भरकम गाड़ियाँ, मँहगे हुए चुनाव
कहाँ रुकेगा सोचिए, यह चुनाव का भाव
यह चुनाव का भाव, कहाँ से धन आएगा
पैसे का यदि जोर, जीत पैसा जाएगा
कहते रवि कविराय ,जुए की है तैयारी
लड़ते धनिक चुनाव, खर्च करते हैं भारी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[25/10/2019, 11:31 AM] Ravi Prakash: पैसा (कुंडलिया )
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पैसा है सबसे बड़ा, इसका रूप विशेष
जिसके भी यह पास है ,उसकी केवल ऐश
उसकी केवल ऐश , तैश धनवाले खाते
जिनकी खाली जेब,दृश्य में कब दिख पाते
कहते रवि कविराय ,न समझो ऐसा- वैसा
अभिनंदन का पात्र, जेब में जिसके पैसा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451
[25/10/2019, 4:13 PM] Ravi Prakash: धनतेरस (कुंडलिया )
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बरसे धन आकाश से ,जैसे हो बरसात
ऐसी ईश्वर दीजिए , धनतेरस दिन- रात
धनतेरस दिन-रात, स्वर्ण से भरे खजाना
रुपयों की हो आय , रहे न कोई ठिकाना
कहते रवि कविराय, न धन से कोई तरसे
बरसे शुभ आशीष, संपदा सब सुख बरसे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451
[30/10/2019, 8:53 AM] Ravi Prakash: रंगोली (कुंडलिया )
??????????
रंगोली यह कह रही, मुझ में कला विशेष
बनती मैं उत्साह से , हरती मन का क्लेश
हरती मन का क्लेश,रंग सौ-सौ बिखराती
नीला पीला लाल , गुलाबी उर्जा लाती
कहते रवि कविराय, कलाकारों की टोली
सजा रही घर आज ,दिवाली पर रंगोली
????☘?????
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[2/11/2019, 10:24 AM] Ravi Prakash: बचपन के फोटो (कुंडलिया)
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बचपन के फोटो हुए, सबके ऊटपटाँग
बिखरे सिर के बाल हैं , टेढ़ी- मेढ़ी माँग
टेढ़ी – मेढ़ी माँग , दीखते भोले – भाले
पहने कपड़े खास, खूब जो ढीले- ढाले
कहते रवि कविराय ,दौर वह निर्मल मन के
बूढ़े भरते आह , वाह क्या दिन बचपन के
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451
[12/11/2019, 6:30 PM] Ravi Prakash: कैसे हो अब स्नान (कुंडलिया)
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काला पानी दिख रहा, नदियों का मन म्लान
कैसे जल – क्रीड़ा करें , कैसे हो अब स्नान
कैसे हो अब स्नान, फैक्ट्रियाँ जहर बहातीं
शहरों का मल – मूत्र , गंदगी नदियाँ पातीं
कहते रवि कविराय ,पड़ा कुटिलों से पाला
नियमों को रख ताक, कर रहे पानी काला
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451
[13/11/2019, 8:27 AM] Ravi Prakash: तुलसी पूजन/ गंगा स्नान( कुंडलिया)
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पूजा तुलसी पेड़ की ,गंगा जी में स्नान
अपनी संस्कृति कर रही,नदी पेड़ का मान
नदी पेड़ का मान , लग रहे मेले भारी
जन – जन में उल्लास, घूमना फिरना जारी
कहते रवि कविराय ,विश्व में कहीं न दूजा
दिखता दृश्य महान, पेड़ नदियों की पूजा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[20/11/2019, 11:40 AM] Ravi Prakash: कागज कलम दवात( कुंडलिया)
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लिखना छूटीं चिट्ठियाँ ,कागज कलम दवात
नए दौर में मिल रही, सुनो पेन को मात
सुनो पेन को मात, कलम कागज की दूरी
किसको है अब याद,कथा अब इनकी पूरी
कहते रवि कविराय ,सुखद होगा यह दिखना
लेकर कागज पेन, आज ही फिर से लिखना
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[21/11/2019, 2:29 PM] Ravi Prakash: धूप (कुंडलिया)
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सबसे ज्यादा कीमती , जाड़ों में है धूप
सबको यह ही चाहिए,क्या फकीर क्या भूप
क्या फकीर क्या भूप , सभी को धूप सुहाती
बदनसीब वह धूप , नहीं जिनको मिल पाती
कहते रवि कविराय , दोष मौसम में जब से
उजली खिलती धूप , दूर बैठी है सबसे
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रचयिता रवि प्रकाश बाजार सराफा रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99 97 61 545 एक
[23/11/2019, 10:55 AM] Ravi Prakash: नेता पलटी मारते (कुंडलिया)
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नेता पलटी मारते , गिरगिट जैसे रंग
गठबंधन के मूल में , सत्ता की है जंग
सत्ता की है जंग , रात में बदला पाला
दिन में कहते और,शाम को सुर नव ढ़ाला
कहते रवि कविराय,बदल दल झटपट लेता
चलता कुर्सी दाँव, निपुण होता जो नेता
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/11/2019, 11:40 AM] Ravi Prakash: नेता कुर्सी छाप( कुंडलिया )
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करिए नेता पर नहीं , तनिक भरोसा आप
नेता कब किसका हुआ , नेता कुर्सी छाप
नेता कुर्सी छाप , बड़ा होता हरजाई
चट से दिया तलाक ,और पट नई पटाई
कहते रवि कविराय , सदा नेता से डरिए
चुनकर काटे हाथ,आप अब फिर क्या करिए
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 761 5451
[27/11/2019, 10:45 AM] Ravi Prakash: बना मूरख मतदाता( कुंडलिया)
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मूरख मतदाता रहा, जिसकी दल से प्रीति
सिद्धांतों पर चल रहा, वही पुरानी नीति
वही पुरानी नीति , मगर नेता सब रूखे
कुर्सी की बस चाह ,दिखे सत्ता के भूखे
कहते रवि कविराय,सिर्फ पद इनको भाता
नेता तिकड़म बाज, बना मूरख मतदाता
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[28/11/2019, 11:13 AM] Ravi Prakash: कुर्सी (कुंडलिया)
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कोई कुर्सी से हटा , कोई कुर्सीवान
जिसको कुर्सी मिल गई,समझो वही महान
समझो वही महान , खेल कुर्सी ने खेला
दो दिन का संयोग, लगा दो दिन का मेला
कहते रवि कविराय , देखकर कुर्सी रोई
कुर्सी मनुज विहीन , नहीं पूछेगा कोई
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[6/12/2019, 12:52 PM] Ravi Prakash: न्यायालय (कुंडलिया)
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भूले से मत जाइए , न्यायालय के पास
निर्णय की मत कीजिए,दसियों सालों आस
दसियों सालों आस ,सिर्फ तारीखें पड़तीं
ताजे होते घाव , वेदनाएं बस गड़तीं
कहते रवि कविराय, अदालत को जो छू ले
रोता सौ-सौ बार , नहीं. जाता फिर भूले
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[7/12/2019, 3:05 PM] Ravi Prakash: मैका ना ससुराल( कुंडलिया )
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नारी का अपना कहाँ, मैका ना ससुराल
ब्याही छूटा मायका,पति की उल्टी चाल
पति की उल्टी चाल,कह रहे यह घर मेरा
मैके से ला माल, माँग ले हिस्सा तेरा
कहते रवि कविराय, समस्या यह है सारी
एक किराएदार , जिंदगी भर है नारी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 61 545 1
[12/12/2019, 2:01 PM] Ravi Prakash: बेतुका यह बँटवारा (कुंडलिया )
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बँटवारा किसने किया,फल था पाकिस्तान
मजहब के था सामने, बौना तब इंसान
बौना तब इंसान, भागकर जान बचाई
दौलत और मकान ,जेब में किसके आई
कहते रवि कविराय , भागता जो बेचारा
कहता किसकी देन, बेतुका यह बँटवारा
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[14/12/2019, 4:46 PM] Ravi Prakash: आदरणीय सूर्य कान्त द्विवेदी जी को नाना बनने पर हार्दिक बधाई के साथ प्रस्तुत है एक कुंडलिया:-
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द्विवेदी जी अब नाना (कुंडलिया)
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नाना बनना भाग्य की ,सबसे सुंदर बात
बेटी का बेटा हुआ, खुशियों की बरसात
खुशियों की बरसात, लीजिए आप बधाई
साहित्यिक परिवार,कह रहा यह निधि आई
कहते रवि कविराय ,खुशी मिल बाँट मनाना
भाग्यवान हैं आप ,द्विवेदी जी अब नाना
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[31/12/2019, 12:12 PM] Ravi Prakash: नव वर्ष शुभ हो (कुंडलिया)
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देते हैं शुभकामना , करें बंधु स्वीकार
नया वर्ष हो आपको , मंगल बारंबार
मंगल बारंबार , नया उत्साह जगाए
सदा रहें खुश आप,चेहरा खिल- खिल जाए
कहते रवि कविराय, नाव जीवन की खेते
बीते सारा वर्ष , आपको खुशियाँ देते
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
[9/1/2020, 1:45 PM] Ravi Prakash: चाय (कुंडलिया)
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सर्दी में अच्छी लगी ,अदरक वाली चाय
गर्मी के अहसास का, सुंदर एक उपाय
सुंदर एक उपाय , युद्ध सर्दी से जीते
पीते लोग गरीब , सेठ जी देखो पीते
कहते रवि कविराय,ताजगी भीतर भर दी
जिसने पी ली चाय,कब लगी उसको सर्दी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[18/1/2020, 1:16 PM] Ravi Prakash: आया माघ महावटें( कुंडलिया )
☔☔☔☔☔☔☔☔
आया माघ महावटें , करती आईं शोर
बारिश में डूबी हुई , सुनो रात से भोर
सुनो रात से भोर,लगा वर्षा ऋतु छाई
सावन की बौछार,शीत ऋतु ने दिखलाई
कहते रवि कविराय,बूँद बारिश जो खाया
उसको हुआ जुकाम, छींकता देखो आया
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रचयिता : रवि प्रकाश बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 97 61 545 1
[1/2/2020, 3:59 PM] Ravi Prakash: प्रेम के पक्षी घर-घर( कुंडलिया)
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सात कबूतर आ गए , बोले करो विचार
गोरी क्यों खोई हुई , प्रियतम भेजो द्वार
प्रियतम भेजो द्वार , डाक को लेकर जाएँ
रोओ मत संदेश , मीत को हम पहुँचाएँ
कहते रवि कविराय , प्रेम के पक्षी घर-घर
जहाँ चाह है राह , वहाँ हैं सात कबूतर
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा ,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
[6/4/2020, 5:54 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
डूबा सूरज (कुंडलिया)
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डूबा सूरज शान से ,घिरकर आई शाम
सोएगा यह रात भर , करता है आराम
करता है आराम , काम पर फिर आएगा
फिर से नया प्रभात , रोशनी बिखराएगा
कहते रवि कविराय , रीति से कभी न ऊबा
इससे ही दिन- रात , रोज उगकर फिर डूबा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[28/4/2020, 1:00 PM] Ravi Prakash: धन्य सेवा सरकारी (कुंडलिया)
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सरकारी का कीजिए ,अभिनंदन शत बार
इसके बल पर जी रहे ,अंदर घर के द्वार
अंदर घर के द्वार , सिपाही गश्त लगाते
घर – घर में सामान ,प्रशासक गण पहुँचाते
कहते रवि कविराय ,सफाई स्वास्थ्य प्रभारी
शिक्षा मुफ्त प्रणाम , धन्य सेवा सरकारी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[27/6/2020, 9:29 PM] Ravi Prakash:
बरखा (कुंडलिया)
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बरखा ऋतु – सी कौन है ,रानी की पहचान
मानों बूँदे कर रहीं ,छमछम – छमछम गान
छमछम- छमछम गान ,मेघ आ गीत सुनाते
हरियाली चहुँ ओर ,दृश्य नयनों को भाते
कहते रवि कविराय ,राज है जाँचा – परखा
पर अचरज की बात ,आज भी लगती बरखा
~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[28/6/2020, 11:22 AM] Ravi Prakash: वर्षा (कुंडलिया)
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वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद
विरहानल में जल उठी ,विरहिन उसके बाद
विरहिन उसके बाद ,बूँद जल ताप बढ़ाती
आते काले मेघ ,आग तन में लग जाती
कहते रवि कविराय ,कौन कहता मन हर्षा
प्रिय के बिना उदास ,प्यास लाती है वर्षा
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[14/7/2020, 2:35 PM] Ravi Prakash: झूला (कुंडलिया)
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झूला सावन बारिशें , काले मेघ फुहार
सजी-धजी हैं नारियाँ ,ऋतु खुद में त्यौहार
ऋतु खुद में त्यौहार ,पवन मस्ती है लाती
नन्हीं – नन्हीं बूँद ,मेघ नभ से बरसाती
कहते रवि कविराय ,बाग पेड़ों को भूला
दुर्लभ कोयल कूक , ढूँढ़ना पड़ता झूला
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[25/8/2020, 11:00 AM] Ravi Prakash: _
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दीपक (कुंडलिया)
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जलता दीपक .कह रहा ,गति मुझमें अविराम
जब तक तिल-भर तेल है ,करता कब आराम
करता कब आराम , उजाला सदा लुटाता
मेरे भीतर प्राण , नहीं तम से घबराता
कहते रवि कविराय ,हाथ क्षण-भर में मलता
हुआ खत्म जब तेल ,कभी फिर बुझा न जलता
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[28/8/2020, 9:17 PM] Ravi Prakash: मुदित ( कुंडलिया )
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होते मुदित महान जन ,गाते मंगल – गीत
जग में शत्रु न हो सका ,सब जन उनके मीत
सब जन उनके मीत ,प्रीति से जीवन जीते
सबसे रखते नेह , बाँटकर अमृत पीते
कहते रवि कविराय ,चैन की निद्रा सोते
जिनके मन निष्काम ,हर्षमय हर दिन होते
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[30/8/2020, 2:56 PM] Ravi Prakash: क्षितिज (कुंडलिया)
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करता है मन दौड़ के ,चलें क्षितिज के पार
देखें फिर जाकर वहाँ , कैसा है संसार
कैसा है संसार , देवता शायद पाएँ
अमृत की दो बूँद ,काश हमको मिल जाएँ
कहते रवि कविराय ,सुना तन वहाँ न मरता
रहता सदा जवान ,रोग की फिक्र न करता
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[30/8/2020, 6:10 PM] Ravi Prakash: स्निग्ध (कुंडलिया)
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जीते जो जीवन रहे ,होकर स्निग्ध महान
उनके ही मुख पर रही ,निर्मल मधु-मुस्कान
निर्मल मधु-मुस्कान ,सदा सबको सुख देते
उनके मन संतोष , न्यूनतम ही बस लेते
कहते रवि कविराय , चैन का अमृत पीते
जग को करते तृप्त ,तुष्ट होकर खुद जीते
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[6/9/2020, 9:12 AM] Ravi Prakash: गुरु वंदना (कुंडलिया)
?????????
मिलता गुरु से ज्ञान है ,गुरुवर सूर्य – समान
जिसको जीवन में मिलें ,समझो पुण्य प्रधान
समझो पुण्य प्रधान ,दोष से रहित कराते
विकृतियाँ कर दूर , पूर्णता को ले आते
कहते रवि कविराय ,सुमन-सा जीवन खिलता
अहोभाग्य वरदान ,मान जग में फिर मिलता
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[6/9/2020, 8:46 PM] Ravi Prakash: _
विलास (कुंडलिया)
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भोगी का जीवन रहा ,प्रतिदिन भोग-विलास
क्षुधा शांत होती कहाँ ,बढ़ती रहती आस
बढ़ती रहती आस ,आग में ज्यों घी जाए
भड़के बढ़कर आग ,चैन अंतर कब पाए
कहते रवि कविराय ,धन्य जो बनता योगी
उसको जो आनंद , भोगता कब है भोगी
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[7/9/2020, 11:41 AM] Ravi Prakash: मित्र ( कुंडलिया )
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रखिए मित्र सँभाल के ,ज्यों प्रभु का वरदान
किस्मत से मिलते सदा ,अच्छे मित्र महान
अच्छे मित्र महान , पिता माता गुरु जानो
शुभचिंतक अनमोल ,बुरा इनका मत मानो
कहते रवि कविराय ,खरी जो कहे परखिए
धडकन तन की जान ,सँभाले इनको रखिए
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[8/9/2020, 2:47 PM] Ravi Prakash:
अलख(कुंडलिया)
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ध्यानी ने पाया अगम ,दुर्लभ अलख स्वरूप
देखा उसको जो सुनो , है भूपों का भूप
है भूपों का भूप ,नहीं धन से जन पाते
पाते कब विद्वान , मंत्र – श्लोकों से आते
कहते रवि कविराय ,हुए असफल सब ज्ञानी
मिलते गहरे डूब , ध्यान में जाकर ध्यानी
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[9/9/2020, 1:08 PM] Ravi Prakash: _
पट (कुंडलिया)
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पाने की विधि है सरल ,अंतर के पट खोल
खुद में यदि तू खो गया ,जाएँगे प्रभु डोल
जाएँगे प्रभु डोल , लोभ सब मोह हटाता
मन में तनिक न मैल ,ईश को वह ही पाता
कहते रवि कविराय ,कहाँ सुधबुध खाने की
हुआ समर्पित भक्त ,प्यास बस प्रभु पाने की
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[10/9/2020, 1:24 PM] Ravi Prakash: _
धीर (कुंडलिया)
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रखते हिम्मत हैं सदा ,कहिए उनको धीर
उनमें दैवी संपदा , उनको मानो वीर
उनको मानो वीर ,नहीं विचलित जो होते
खोते नहीं विवेक , दीखते कभी न रोते
कहते रवि कविराय,उच्च भावों को चखते
दुर्लभ जग में धीर ,धैर्य जो मन में रखते
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[13/9/2020, 12:21 PM] Ravi Prakash: _
लोचन (कुंडलिया)
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हँसते हैं रोते कभी , दो लोचन अभिराम
खुले सुबह समझो हुई ,हुए बंद तो शाम
हुए बंद तो शाम , बात करते इतराते
कभी प्रशंसा-भाव ,नजर से कभी गिराते
कहते रवि कविराय ,रसिक इन में ही फँसते
कुछ होते बेहाल ,जिंदगी भर कुछ हँसते
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[15/9/2020, 2:38 PM] Ravi Prakash: शब्द पर आधारित कविता
तारक (कुंडलिया)
✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
कितना सुंदर लग रहा , यह तारक आकाश
जैसे रुनझुन घंटियाँ , डाले कोई पाश
डाले कोई पाश , चाँद सँग ज्यों बाराती
शहनाई की गूँज , कान में मद्धिम आती
कहते रवि कविराय ,दृश्य देखो यह जितना
रहता मन अतृप्त , कहेगा सुंदर कितना
??????????
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[16/9/2020, 8:19 PM] Ravi Prakash: शब्द पर आधारित कविता
असार (कुंडलिया)
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खोया-पाया अर्थ क्या ,यह जग एक असार
नश्वर इसकी वस्तुएँ , नाशवान संसार
नाशवान संसार , जन्म लेते जन मरते
मूरख धन से लोभ , संपदा घर में भरते
कहते रवि कविराय ,समझ इतना बस आया
चिंतन इसका व्यर्थ ,कौन क्या खोया -पाया
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[18/9/2020, 12:10 PM] Ravi Prakash: #हिंदीहैंहम #आजकाशब्द #कहतेरविकविराय
शब्द पर आधारित कविता
दीप्त (कुंडलिया )
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जिनका मन निर्मल हुआ,मुख पर मधु- मुस्कान
वाह – वाह क्या देखिए , अंतर्मन की शान
अंतर्मन की शान , दीप्त मुखमंडल पाते
कब तारक-आकाश ,चमक उनकी – सी लाते
कहते रवि कविराय ,स्वर्ण को समझें तिनका
मन में तनिक न लोभ ,दिव्यमय जीवन जिनका
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[20/9/2020, 12:07 PM] Ravi Prakash:
गोपन ( कुंडलिया )
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किसके मन के कब पढ़े ,किसने गोपन भाव
दो पैरों को रख रहा ,मानव दो – दो नाव
मानव दो-दो नाव ,असल मुखड़ा कब दीखा
चतुराई के साथ , जिंदगी जीना सीखा
कहते रवि कविराय,काम निकला तो खिसके
बहुरुपिए हैं लोग ,कौन हैं बोलो किसके
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[21/9/2020, 10:24 AM] Ravi Prakash:
मंसूख (कुंडलिया)
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भूखे को रोटी बड़ी ,सबसे बढ़कर भूख
भूख बढ़ी तो हो गई ,लोक – लाज मंसूख
लोक-लाज मंसूख , पेट की आग बड़ी है
इसका अर्थ सपाट ,शत्रु की सैन्य खड़ी है
कहते रवि कविराय ,वचन धर्मों के रूखे
केवल उन के योग्य ,नहीं जो जन हैं भूखे
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मंसूख= जो रद्द कर दिया गया हो
[25/9/2020, 11:47 AM] Ravi Prakash:
रजनी (कुंडलिया)
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आती रजनी सुख भरी ,इसमें शांति प्रधान
सोता इसकी गोद में ,जगत बिना व्यवधान
जगत बिना व्यवधान ,अँधेरा मन को भाता
पलकें होतीं बंद , सूर्य का शोर न आता
कहते रवि कविराय ,आँख कब है चुँधियाती
सघन कालिमा व्याप्त ,मधुर रजनी जब आती
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[29/9/2020, 9:38 AM] Ravi Prakash: ब्रह्म कमल (कुंडलिया)
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मनभावन है देखिए , हेमकुंड साहेब
दुनिया में विकृति कई ,इसमें कहीं न ऐब
इसमें कहीं न ऐब ,ब्रह्म – पंकज है खिलता
अद्भुत दिव्य प्रसाद ,दर्शनों से ही मिलता
कहते रवि कविराय ,कुंड पर्वत अति पावन
कुदरत का अनमोल ,दृश्य देखो मनभावन
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[30/9/2020, 1:24 PM] Ravi Prakash: #शब्दपरआधारितकविता
#तुहिन :( #कुंडलिया )
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लटकाई थी खीर जो ,शरद पूर्णिमा रात
पड़ी तुहिन उस खीर में ,मधु – जैसी सौगात
मधु – जैसी सौगात ,स्वाद अब हुआ निराला
मानो अमृत घोल , स्वर्ग से प्रभु ने डाला
कहते रवि कविराय , प्रेम से सब ने खाई
छींके ऊपर टाँग , खीर जो थी लटकाई
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तुहिन = ओस कण , ठंडक , हिम
[1/10/2020, 11:05 AM] Ravi Prakash: #शब्दपरआधारितकविता
#तरुवर (#कुंडलिया)
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नीला नभ पर्वत महा ,तरुवर तुम्हें प्रणाम
झीलें झरने बह रहीं , सरिताएँ अभिराम
सरिताएँ अभिराम ,जगत का रूप सुहाना
तारे चंदा सूर्य , रोज गाते हैं गाना
कहते रवि कविराय ,फूल का रँग चटकीला
पीला हरा सफेद , लाल नारंगी नीला
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तरुवर= उत्तम या बड़ा वृक्ष ,पेड़
[1/10/2020, 2:37 PM] Ravi Prakash: नारी (कुंडलिया)
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नारी को नर से मिला ,कभी प्रेम – वरदान
कभी मिला अभिशाप भी ,वहशी सिर्फ निशान
वहशी सिर्फ निशान ,वासना जब चढ़ जाती
बनता पुरुष पिशाच ,देख उसको घिन आती
कहते रवि कविराय , वेदना समझो भारी
नर के रहती बीच , कीच को सहती नारी
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[1/10/2020, 2:46 PM] Ravi Prakash: वृद्ध (कुंडलिया)
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रहते हैं बूढ़े जहाँ ,घर के शिखर – समान
चरण सभी जन पूजते , देते हैं सम्मान
देते हैं सम्मान , बहू बेटे गुण गाते
पहले भोजन वृद्ध ,बाद में युवजन खाते
कहते रवि कविराय ,मोदमय झरने बहते
जहाँ वृद्ध आशीष , हर्ष से देकर रहते
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[4/10/2020, 7:44 PM] Ravi Prakash:
अकिंचन : कुंडलिया
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करिए कृपा कृपालु प्रभु ,जान अकिंचन दास
जग से कुछ चाहूँ नहीं ,तुम बिन रहूँ उदास
तुम बिन रहूँ उदास ,आमजन मैं अज्ञानी
मामूली इंसान ,सर्व सुख के तुम दानी
कहते रवि कविराय ,सत्य शिव सुंदर भरिए
सात्विक मन के भाव ,शुद्ध आजीवन करिए
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अकिंचन = दरिद्र ,मामूली ,गुमनाम
[6/10/2020, 11:40 AM] Ravi Prakash:
मंदार (कुंडलिया)
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देखा किसने है कहाँ , होता है मंदार
वृक्ष कहाँ इस लोक का ,हुआ लोक के पार
हुआ लोक के पार ,फूल – फल कैसे आते
जाने कैसी शाख ,स्वप्न में सिर्फ सुहाते
कहते रवि कविराय ,स्वर्ग की सीमा – रेखा
गया कौन परलोक ,मृत्यु को किसने देखा
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मंदार = स्वर्ग का एक वृक्ष , धतूरा ,हाथी
[10/10/2020, 12:04 PM] Ravi Prakash:
कुड़माई (कुंडलिया)
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कुड़माई का अर्थ है , सपने कई हजार
इसमें दिल से दिल मिले ,दिल का यह त्यौहार
दिल का यह त्यौहार ,जुड़ा जीवन का नाता
अब जिस से संबंध ,साथ उससे ही भाता
कहते रवि कविराय ,बसंती ऋतु ज्यों छाई
लग जाते हैं पंख , हुई जिनकी कुड़माई
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कुड़माई= सगाई , शादी से पूर्व की जाने वाली रस्म
[15/10/2020, 10:33 AM] Ravi Prakash: शब्द पर आधारित कविता
कसक (कुंडलिया)
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मन में सबके ही रही ,कोई कसक अनाम
देती रहती दर्द जो ,दुखद सदा परिणाम
दुखद सदा परिणाम ,विगत जब याद सताता
हृदय चीखकर घोर , वेदना से भर जाता
कहते रवि कविराय , पूर्णता चाहे तन में
रहती कसक सदैव ,कौंधती लेकिन मन में
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कसक =दुखद अनुभव के स्मरण से होने वाली पीड़ा , टीस , खटक , पुराना द्वेष
[16/10/2020, 1:37 PM] Ravi Prakash: सपने 【कुंडलिया】
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सपने जब तक पल रहे ,उत्साही इंसान
उम्र भले ही साठ हो ,तब तक कहो जवान
तब तक कहो जवान ,सीखना रोज जरूरी
नए सृजन से बंधु ,कभी रखना मत दूरी
कहते रवि कविराय ,दौर सब ही हैं अपने
यौवन की पहचान ,उम्र से ज्यादा सपने
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[17/10/2020, 1:14 PM] Ravi Prakash: शब्द पर आधारित कविता
ओछा (कुंडलिया)
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मिलिए उनसे जो नहीं ,करते ओछा काम
उच्च विचारों से जुड़ा ,जिनका हो बस नाम
जिनका हो बस नाम ,वचन हर तरह निभाएँ
सदा ठोस व्यवहार ,बात में जो दिखलाएँ
कहते रवि कविराय ,पास बैठा कर खिलिए
भीतर से गंभीर , धीर लोगों से मिलिए
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ओछा= तुच्छ, हीन,हल्का , छिछोरा ,जिसमें गंभीरता न हो
[26/10/2020, 11:15 AM] Ravi Prakash: मंजरी (कुंडलिया)
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पूजा तुलसी की करें ,अर्पण नित आभार
इसके होने मात्र से , पर्यावरण सुधार
पर्यावरण सुधार ,नित्य तुलसीदल खाएँ
लगी मंजरी शुष्क ,यत्न से भेंट चढ़ाएँ
कहते रवि कविराय ,न पावन पौधा दूजा
इसीलिए हर रोज ,विश्व ने इसको पूजा
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मंजरी = आम के बौर ,कोंपल ,तुलसी
[28/10/2020, 11:48 AM] Ravi Prakash: मंथर (कुंडलिया)
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चलता मंथर गति मनुज ,मगर चला अविराम
मंजिल तक पहुँचा वही , सौ – सौ उसे प्रणाम
सौ – सौ उसे प्रणाम , परिश्रम जो नित करता
किस्मत देती साथ , चौकड़ी देखो भरता
कहते रवि कविराय ,शशक में आलस पलता
धावक यद्यपि तीव्र , कूर्म से पीछे चलता
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मंथर = धीमा ,मंदबुद्धि ,स्थूल

शशक = खरगोश

कूर्म = कछुआ
[29/10/2020, 11:27 AM] Ravi Prakash: कनक (कुंडलिया)
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पाता – खाता जो कनक ,सदा एक तासीर
मदमाता फिरने लगा ,हुआ बाढ़ का नीर
हुआ बाढ़ का नीर ,सदा आपे को खोता
कहे चौगुना वीर ,स्वयं को जितना होता
कहते रवि कविराय दिखा जग में बौराता
घातक कनक सदैव ,व्यक्ति जो पाता-खाता
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कनक = सोना , धतूरा,
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तासीर (अरबी शब्द है) = असर , प्रभाव
[29/10/2020, 5:13 PM] Ravi Prakash: शरद पूर्णिमा (कुंडलिया)
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आती यों तो पूर्णिमा , सभी माह की रात
किंतु शरद के चाँद की ,अलग खास कुछ बात
अलग खास कुछ बात ,रात्रि में अमृत झरता
रखी पात्र में खीर ,तत्व – रस भीतर भरता
कहते रवि कविराय ,कौमुदी स्वास्थ्य बढ़ाती
महारास की रात , क्वार में यह ही आती
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘
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कौमुदी = चाँदनी
[30/10/2020, 10:59 AM] Ravi Prakash: कदंब (कुंडलिया)
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बजती बंसी कृष्ण की ,यमुना तट पर रास
शोभित पेड़ कदंब के ,शरद पूर्णिमा खास
शरद पूर्णिमा खास ,फूल लघु पीले छाते
कादंबरी विशेष , पेय प्रिय मादक पाते
कहते रवि कविराय ,सुंदरी गोपी सजती
महारास का नृत्य ,बाँसुरी मोहक बजती
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_कदंब = कदम नामक वृक्ष , समूह_
_कादंबरी = कदंब के पेड़ से निकलने वाला द्रव_
[31/10/2020, 10:47 AM] Ravi Prakash: विटप (कुंडलिया)
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बढ़ते पौधे इसलिए ,उनमें विटप – विधान
एक तने से सौ नई , शाखा हुईं महान
शाखा हुईं महान ,विजय – उल्लास मनाते
नए-नए विस्तार ,मधुर शाखों पर पाते
कहते रवि कविराय ,वही ऊँचाई चढ़ते
सबका लेकर साथ ,जिंदगी में जो बढ़ते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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विटप = पेड़ या लता की नई शाखा , झाड़ी
[2/11/2020, 1:35 PM] Ravi Prakash: ज्योत्स्ना (कुंडलिया)
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छाती नभ में ज्योत्स्ना , चंदा की सौगात
गोरा दूल्हा हँस रहा , तारों की बारात
तारों की बारात , दिखा आकाश निराला
गोल – मटोला चाँद , रूप अद्भुत मतवाला
कहते रवि कविराय ,मरण की तिथि फिर आती
रुदन करता व्योम , अमावस्या है छाती
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451
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ज्योत्स्ना = चाँदनी , दुर्गा , सौंफ
[3/11/2020, 10:44 AM] Ravi Prakash: प्रणय ( कुंडलिया )
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अंतर में बनकर प्रणय ,आया सौ – सौ बार
बिना कहे फिर भी रहा ,कुछ पाया साकार
कुछ पाया साकार ,प्यार से जीवन पलता
यह मधुमय संबंध ,दीप – सा जैसे जलता
कहते रवि कविराय ,प्रणय है जादू – मंतर
जग जाता है भाग्य ,जगा यह जिसके अंतर
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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प्रणय = प्रेम ,प्यार ,अनुराग
[7/11/2020, 11:35 AM] Ravi Prakash: अस्फुट (कुंडलिया)
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बोली ऐसी बोलिए , अस्फुट रहे न बात
खुलकर सीधा कर सके ,वक्षस्थल पर घात
वक्षस्थल पर घात ,काम को करने वाली
शब्दों की बौछार ,खोखली मत हो खाली
कहते रवि कविराय , अकेले हो या टोली
रखो वीरता-भाव , ठिठोली करे न बोली
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रचयिता रवि प्रकाश बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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अस्फुट = अस्पष्ट , अप्रकट ,जो खिला न हो
[8/11/2020, 10:38 AM] Ravi Prakash: अहोई अष्टमी (कुंडलिया)
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तारे – जैसी हो सदा , नभ में ऊँची शान
बच्चे महिमावान हों , माँ का यह अरमान
माँ का यह अरमान , अहोई आठे आती
रखती मांँ उपवास ,अन्न का कण कब खाती
कहते रवि कविराय , पुत्र – पुत्री हैं प्यारे
माँ कहती हे लाल ! ,आँख के हो तुम तारे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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