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23 Jun 2021 · 41 min read

सरस कुंडलियाँ

168 सरस कुंडलियाँ
[3/11/2019, 12:11 PM] Ravi Prakash: गलियाँ पानी से भरीं( कुंडलिया)
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गलियाँ पानी से भरीं , परेशान इंसान
रहने वाले कह रहे , बुरे फँसे भगवान
बुरे फँसे भगवान , दुकानें व्यर्थ सजाएं
गलियों में से लोग, किस तरह आएं-जाएं
कहते रवि कविराय, शूल संग जैसे कलियाँ
बदबूदार मकान , रो रहीं जैसे गलियाँ
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[3/11/2019, 7:04 PM] Ravi Prakash: रात दिन विष को पीते( कुंडलिया )
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साफ हवा है अब कहाँ,किसने देखी आज
दिल्ली- एनसीआर में , रहते आती लाज
रहते आती लाज ,रात दिन विष को पीते
आधी लेते साँस , हाँफते जैसे जीते
कहते रवि कविराय ,मर्ज की नहीं दवा है
ढूँढ रहे हैं लोग, कहाँ अब साफ हवा है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[4/11/2019, 6:44 PM] Ravi Prakash: रात में लाउडस्पीकर (दो कुंडलियाँ)
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(1)
सोए कैसे आदमी, दस बजने के बाद
लाउड स्पीकर कर रहा, नींदों को बर्बाद
नींदों को बर्बाद, रात भर खूब बजाते
रक्षक जो कानून, रोक कब लेकिन पाते
कहते रवि कविराय ,आदमी कितना रोए
रोते बीती रात, किस तरह कैसे सोए
(2)
शोर मचाते रात को , लाउड स्पीकर तेज
सोना मुश्किल हो गया, काँटों की ज्यों सेज
काँटों की ज्यों सेज, रात- भर जगते बीती
लड़ी रात भर नींद ,शोर से पर कब जीती
कहते रवि कविराय, जश्न इस तरह मनाते
कानफोड़ आवाज , रात भर शोर मचाते
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल9997 61 5451
[7/11/2019, 3:59 PM] Ravi Prakash: आया दौर गिरोह का( कुंडलिया)
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आया दौर गिरोह का, रहिए इसके साथ
सभी जगह पर चल रहा,हावी इसका हाथ
हावी इसका हाथ, नियम को धता बताते
कानूनों के पाश , बाँध कब इनको पाते
कहते रवि कविराय, अकेला जन घबराया
जिसके साथ गिरोह,बेधड़क लड़ता आया
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451
[9/11/2019, 7:56 PM] Ravi Prakash: धन्य नवम्बर नौ हुई (कुंडलिया)
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धन्य नवम्बर नौ हुई , हुआ राम का काम
आया सुंदर फैसला , सौ-सौ बार प्रणाम
सौ-सौ बार प्रणाम,देश की भक्ति जगाता
अपना जो इतिहास,ठीक हो इससे जाता
कहते रवि कविराय, कह रही धरती अंबर
युगों- युगों तक याद , रहेगा धन्य नवंबर
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[10/11/2019, 9:58 AM] Ravi Prakash: झगड़े सदियों के मिटे( कुंडलिया)
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झगड़े सदियों के मिटे , हुई नई शुरुआत
सबके दिल अब मिल गए,वाह वाह क्या बात
वाह- वाह क्या बात, रामजी जग के नायक
सबके पूज्य प्रभात रामजी के सब गायक
कहते रवि कविराय, न कोई पिछड़े- अगड़े
कहो जीत मत हार, मिटे सदियों के झगड़े
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रचयिता रवि प्रकाश बाजार सराफा रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997 615451
[12/11/2019, 6:30 PM] Ravi Prakash: कैसे हो अब स्नान (कुंडलिया)
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काला पानी दिख रहा, नदियों का मन म्लान
कैसे जल – क्रीड़ा करें , कैसे हो अब स्नान
कैसे हो अब स्नान, फैक्ट्रियाँ जहर बहातीं
शहरों का मल – मूत्र , गंदगी नदियाँ पातीं
कहते रवि कविराय ,पड़ा कुटिलों से पाला
नियमों को रख ताक, कर रहे पानी काला
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451
[13/11/2019, 8:27 AM] Ravi Prakash: तुलसी पूजन/ गंगा स्नान( कुंडलिया)
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पूजा तुलसी पेड़ की ,गंगा जी में स्नान
अपनी संस्कृति कर रही,नदी पेड़ का मान
नदी पेड़ का मान , लग रहे मेले भारी
जन – जन में उल्लास, घूमना फिरना जारी
कहते रवि कविराय ,विश्व में कहीं न दूजा
दिखता दृश्य महान, पेड़ नदियों की पूजा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[14/11/2019, 11:41 AM] Ravi Prakash: बच्चे (कुंडलिया )
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बच्चे बनना है कठिन, बाकी सब आसान
सीधा – सादा जो हुआ, उसमें हैं भगवान
उसमें हैं भगवान , सरलता में कठिनाई
निर्मल मन की राह,पकड़ कितनों ने पाई
कहते रवि कविराय, गौर से देखो सच्चे
होते ईश- स्वरूप , सिर्फ हैं जग में बच्चे
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9997615451
[14/11/2019, 5:47 PM] Ravi Prakash: रिक्शा अब मिलती नहीं (कुंडलिया)
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नर- नारी पैदल चले , सड़कों पर असहाय
रिक्शा अब मिलती नहीं,मुख से निकली हाय
मुख से निकली हाय, आम जन कैसे जाएँ
घर से निकले लोग , हार घर वापस आएँ
कहते रवि कविराय , वेदना है यह भारी
रिक्शा आज बगैर, ढ़ुल रहे खुद नर-नारी
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[16/11/2019, 10:44 PM] Ravi Prakash: शुरू साठवाँ साल( कुंडलिया )
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कहलाता नव – दौर है,शुरू साठवाँ साल
आँखें बूढी हो रहीं, श्वेत हो रहे बाल
श्वेत हो रहे बाल , बतीसी हिलती पाई
घुटनों में तकलीफ , कान से कहाँ सुनाई
कहते रवि कविराय ,हँसो मुस्काओ भ्राता
जीवन का हर दौर, एक अनुभव कहलाता
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रचयिता ; रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[18/11/2019, 8:59 PM] Ravi Prakash: घर की चक्की( कुंडलिया)
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चक्की बोली अब कहाँ, घर-घर मेरी बात
गेहूँ कब मुझसे पिसा, सबसे ही आघात
सबसे ही आघात , न कोई मुझे चलाता
वरना इस्तेमाल , रोग सब दूर भगाता
कहते रवि कविराय,बात यह समझो पक्की
कसरत भी थी साथ, घूमती घर की चक्की
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[20/11/2019, 11:35 AM] Ravi Prakash: मौजी मन के (कुंडलिया)
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मन के मौजी हम रहे, सत्ता .के कब दास
पद के पीछे कब चले,धन की कब की आस
धन की कब की आस ,राह पर अपने चलते
हम भीतर से एक , हाथ चाहे हों मलते
कहते रवि कविराय, न पीछे भागो धन के
रहे मजे में लोग ,दीखते मौजी मन के

रचयिता रवि प्रकाश बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99 97 61 545
[20/11/2019, 11:38 AM] Ravi Prakash: कै-लाश( कुंडलिया)
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पूरा बदला अर्थ ही ,अक्षर का सब खेल
एक अगर जो हट गया,हुआ शब्द बेमेल
हुआ शब्द बेमेल , बुझा जब कै तो पाया
लिखा हुआ कैलाश,लाश दिखने में आया
कहते रवि कविराय,शब्द मत रखो अधूरा
हर अक्षर में जान, अर्थ को करता पूरा
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451
[20/11/2019, 11:40 AM] Ravi Prakash: कागज कलम दवात( कुंडलिया)
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लिखना छूटीं चिट्ठियाँ ,कागज कलम दवात
नए दौर में मिल रही, सुनो पेन को मात
सुनो पेन को मात, कलम कागज की दूरी
किसको है अब याद,कथा अब इनकी पूरी
कहते रवि कविराय ,सुखद होगा यह दिखना
लेकर कागज पेन, आज ही फिर से लिखना
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[21/11/2019, 11:36 AM] Ravi Prakash: पदलोलुप बर्ताव( कुंडलिया)
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सौदेबाजी चल रही , सत्ता का सब खेल
राजनीति में दिख रहा, षड्यंत्रों का मेल
षड्यंत्रों का मेल , गले अनजाने मिलते
जिससे हित की बात,देख उसको ही खिलते
कहते रवि कविराय, सभी शर्तों पर राजी
पदलोलुप बर्ताव , चल रही सौदेबाजी
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[21/11/2019, 11:38 AM] Ravi Prakash: मानव की पहचान (कुंडलिया)
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मानव से बढ़कर हुआ, पशुओं को यह ज्ञान
जीवन में संवेदना , मानव की पहचान
मानव की पहचान , काम औरों के आएँ
जो समाज में दोष , दूर आमूल भगाएँ
कहते रवि कविराय, युद्ध हर क्षण दानव से
सच पूछो पशु आज , हुए बढ़कर मानव से
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[21/11/2019, 2:04 PM] Ravi Prakash: शादी का मौसम शुरू (कुंडलिया)
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शादी का मौसम शुरू ,दावत चारों ओर
लँहगा मँहगी साड़ियाँ,गरम सूट का जोर
गरम सूट का जोर, भोग छप्पन मन भाते
खेद एक ही पेट ,चाट कितनी खा पाते
कहते रवि कविराय ,प्रीतिभोजों के आदी
चखते सौ-सौ स्वाद ,रोज ही जाकर शादी
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451
[21/11/2019, 2:10 PM] Ravi Prakash: पुराना शहर (कुंडलिया)
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शहर पुराना रो रहा , जगह हुई बेकार
कार कहाँ से आएगी ,ई रिक्शा लाचार
ई रिक्शा लाचार ,लोग बस पैदल चलते
मेला जैसे क्षेत्र ,नियम सब ही को खलते
कहते रवि कविराय, शुरू है देखो जाना
जाता उच्च समाज ,छोड़कर शहर पुराना
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[21/11/2019, 2:29 PM] Ravi Prakash: धूप (कुंडलिया)
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सबसे ज्यादा कीमती , जाड़ों में है धूप
सबको यह ही चाहिए,क्या फकीर क्या भूप
क्या फकीर क्या भूप , सभी को धूप सुहाती
बदनसीब वह धूप , नहीं जिनको मिल पाती
कहते रवि कविराय , दोष मौसम में जब से
उजली खिलती धूप , दूर बैठी है सबसे
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रचयिता रवि प्रकाश बाजार सराफा रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99 97 61 545 एक
[21/11/2019, 6:55 PM] Ravi Prakash: कोयल नभ से पूछती (कुंडलिया)
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उजड़ी ऋतुएं हो गईं, ठुन्ठ दीखती डाल
कोयल नभ से पूछती, मौसम क्यों बदहाल
मौसम क्यों बदहाल ,हवा में दोष समाया
दूषित है जलवायु ,पाप क्यों कहो कमाया
कहते रवि कविराय, लगा ज्यों तुरपन उधड़ी
धुंध हवा में धूल, जगह सब उजड़ी- उजड़ी
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[22/11/2019, 2:30 PM] Ravi Prakash: रोग से गर्दन अकड़ी( कुंडलिया)
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अकड़ी गर्दन घूमता, सिर फिरकी की चाल
दिन में तारे दिख रहे , आँखें हैं बदहाल
आँखें हैं बदहाल , हाथ मोबाइल आया
दिन हो चाहे रात , खूब बस इसे चलाया
कहते रवि कविराय,राह अनुचित यह पकड़ी
लत को समझो रोग,रोग से गर्दन अकड़ी
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/11/2019, 10:55 AM] Ravi Prakash: नेता पलटी मारते (कुंडलिया)
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नेता पलटी मारते , गिरगिट जैसे रंग
गठबंधन के मूल में , सत्ता की है जंग
सत्ता की है जंग , रात में बदला पाला
दिन में कहते और,शाम को सुर नव ढ़ाला
कहते रवि कविराय,बदल दल झटपट लेता
चलता कुर्सी दाँव, निपुण होता जो नेता
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/11/2019, 11:40 AM] Ravi Prakash: नेता कुर्सी छाप( कुंडलिया )
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करिए नेता पर नहीं , तनिक भरोसा आप
नेता कब किसका हुआ , नेता कुर्सी छाप
नेता कुर्सी छाप , बड़ा होता हरजाई
चट से दिया तलाक ,और पट नई पटाई
कहते रवि कविराय , सदा नेता से डरिए
चुनकर काटे हाथ,आप अब फिर क्या करिए
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 761 5451
[23/11/2019, 11:49 AM] Ravi Prakash: करो स्वार्थ की बात (कुंडलिया)
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आओ बैठो शत्रुओं , करो स्वार्थ की बात
मारो जमकर पैर से,. सिद्धांतों को लात
सिद्धांतों को लात, लालची मित्र बनाओ
कुर्सी दे सौगात , साथ में उसके जाओ
कहते रवि कविराय, जगत में कुर्सी पाओ
साँठगाँठ का खेल,साथ जिसके भी आओ
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[23/11/2019, 12:12 PM] Ravi Prakash: केस औरों पर करता( कुंडलिया )
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करता जाकर कचहरी ,जिसने किया वकील
उसका सब कुछ बिक गया,बिकती है हर कील
बिकती है हर कील, लड़ा पीढ़ी दर पीढ़ी
दुहता रोज वकील , रोज चढ़वाता सीढ़ी
कहते रवि कविराय ,समझ लो जिंदा मरता
जिसके फूटे भाग्य , केस औरों पर करता
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[23/11/2019, 1:58 PM] Ravi Prakash: राजनीति बाजार (कुंडलिया)
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जनता मूरख बन रही, इसके-उसके हाथ
नेता छुट्टे जा रहे , चाहे जिसके साथ
चाहे जिसके साथ, मिले गठबंधन करते
जिससे लगता दाँव,पाँव उसके सँग धरते
कहते रवि कविराय, हास्य रस ऐसे बनता
राजनीति बाजार, भाड़ में जाए जनता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[23/11/2019, 8:10 PM] Ravi Prakash: दुनिया धोखेबाज (कुंडलिया)
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सपने कब पूरे हुए , होते चकनाचूर
सोए तो कुछ और था ,जागे मंजिल दूर
जागे मंजिल दूर ,सदा सपने भरमाते
छब्बे बने बजाय ,दुबे होकर रह जाते
कहते रवि कविराय, किसे बोलोगे अपने
दुनिया धोखेबाज ,तोड़ जाते सब सपने
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[26/11/2019, 1:03 PM] Ravi Prakash: पदाधिकारी( कुंडलिया)
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आया पद फूले हुए , बने घमंडीराम
खुद को समझें खास ये, बाकी समझें आम
बाकी समझें आम, तुनक अपनी दिखलाते
पद क्या मिला अलाप , सिर्फ अपनी ही गाते
कहते रवि कविराय, समझ में यह सच आया
पदधारी ने रौब , अकड़फूँ पद का पाया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 9761 5451
[26/11/2019, 7:46 PM] Ravi Prakash: उनसठ (कुंडलिया)
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उनसठ के जो हो चुके , होंगे पूरे साठ
खुद को मत समझें युवा,पढ़ लें सच का पाठ
पढ़ लें सच का पाठ, बाल अब कब हैं काले
घुटने कहते रोज , हो रहे ढी़ले – ढा़ले
कहते रवि कविराय ,बुढ़ापा करता है हठ
स्वागत मेरा आप, कीजिए मैं हूँ उनसठ
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 61 5451
[26/11/2019, 9:07 PM] Ravi Prakash: काश कुर्सी मिल जाए (कुंडलिया )
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जैसे भी बनवाइए , बस अपनी सरकार
चाहे जाना ही पड़े , जिसके भी घर – द्वार
जिसके भी घर – द्वार ,काश कुर्सी मिल जाए
बहुमत करो जुगाड़,जिंदगी खिल- खिल जाए
कहते रवि .कविराय , हाथ मिलवाओ ऐसे
कुर्सी का हो खेल , पक्ष में चाहे जैसे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[27/11/2019, 10:45 AM] Ravi Prakash: बना मूरख मतदाता( कुंडलिया)
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मूरख मतदाता रहा, जिसकी दल से प्रीति
सिद्धांतों पर चल रहा, वही पुरानी नीति
वही पुरानी नीति , मगर नेता सब रूखे
कुर्सी की बस चाह ,दिखे सत्ता के भूखे
कहते रवि कविराय,सिर्फ पद इनको भाता
नेता तिकड़म बाज, बना मूरख मतदाता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[27/11/2019, 6:05 PM] Ravi Prakash: करते हंगामा सदा( कुंडलिया )
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करते हंगामा सदा , मचती चीख – पुकार
कुछ लोगों की आदतें, केवल स्वेच्छाचार
केवल स्वेच्छाचार , नहीं हल कोई लाते
समाधान किस भाँति , राह यह नहीं सुझाते
कहते रवि कविराय, लोग यह सदा अखरते
सिर्फ अराजक दृश्य , हमेशा पैदा करते
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रचयिता , रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[28/11/2019, 11:13 AM] Ravi Prakash: कुर्सी (कुंडलिया)
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कोई कुर्सी से हटा , कोई कुर्सीवान
जिसको कुर्सी मिल गई,समझो वही महान
समझो वही महान , खेल कुर्सी ने खेला
दो दिन का संयोग, लगा दो दिन का मेला
कहते रवि कविराय , देखकर कुर्सी रोई
कुर्सी जिसकी गई , नहीं पूछेगा कोई
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[29/11/2019, 12:03 PM] Ravi Prakash: खोया पाया( कुंडलिया )
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खोया – पाया क्या मिला, सोचो आया हाथ
मानव जग से जा रहे, क्या ले जाते साथ
क्या ले जाते साथ , याद इतना रह जाता
किसका था किस भाँति,लोक से जीवन- नाता
कहते रवि कविराय, धन्य जिसको जग रोया
करता करुण विलाप, आदमी अच्छा खोया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 9761 5451
[30/11/2019, 8:46 AM] Ravi Prakash: युवा मोर्चा बनाम वृद्ध मोर्चा( कुंडलिया)
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खोले बैठे मोरचे , युवकों के सब लोग
राजनीति को लग गया, बूढ़े पन का रोग
बूढ़ेपन का रोग , रंग बूढ़े दिखलाते
दल की सदा कमान, हाथ में थामे पाते
कहते रवि कविराय, देश का जनमत बोले
युवा मोरचा छोड़ ,वृद्ध शाखा दल खोले
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[3/12/2019, 5:05 PM] Ravi Prakash: नारी तू अबला नहीं (कुंडलिया)
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नारी तू अबला नहीं,बन बल की भंडार
कामुकता से जो भरा , कर दे गोली पार
कर दे गोली पार, न दोषी बचने पाएँ
तुरत- फुरत हो न्याय,फाँसियों पर लटकाएँ
कहते रवि कविराय , बात चिंता की भारी
असुरक्षित है आज , घूमती बाहर नारी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तरप्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[5/12/2019, 12:56 PM] Ravi Prakash: सड़कों पर सामान (कुंडलिया)
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अन्दर छह फीट गहरी, सचमुच बनी दुकान
इतना ही आगे बढ़ा , सड़कों पर सामान
सड़कों पर सामान , कहांँ से रिक्शा जाए
किसमें हिम्मत कौन , सजा सामान हटाए
कहते .रवि कविराय,नहीं इनको कुछ भी डर
भरा आत्मविश्वास , देखिए कैसा अन्दर
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[5/12/2019, 11:42 PM] Ravi Prakash: संसद की कैंटीन (कुंडलिया)
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सस्ता खाना अब कहाँ, सत्रह गए करोड़
जाती देखो सब्सिडी , आया सुन्दर मोड़
आया सुन्दर मोड़, हो गई मँहगी थाली
संसद की कैंटीन ,अब नहीं सस्ती वाली
कहते रवि कविराय, देश की हालत खस्ता
कैसे पाते और , देश के सांसद सस्ता
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451
[6/12/2019, 11:55 AM] Ravi Prakash: एनकाउन्टर आस (कुंडलिया)
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होता न्याय कभी नहीं ,न्यायालय के पास
सोचो क्या रह जाएगी, एनकाउन्टर आस
एनकाउन्टर आस ,न दशकों केस चलाओ
फौरन बैठे कोर्ट , फैसला तुरत सुनाओ
कहते रवि कविराय , अदालत जाता रोता
पड़ती बस तारीख ,न्याय दशकों कब होता
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[6/12/2019, 12:52 PM] Ravi Prakash: न्यायालय (कुंडलिया)
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भूले से मत जाइए , न्यायालय के पास
निर्णय की मत कीजिए,दसियों सालों आस
दसियों सालों आस ,सिर्फ तारीखें पड़तीं
ताजे होते घाव , वेदनाएं बस गड़तीं
कहते रवि कविराय, अदालत को जो छू ले
रोता सौ-सौ बार , नहीं. जाता फिर भूले
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[7/12/2019, 11:32 AM] Ravi Prakash: पल भर में इंसाफ (कुंडलिया)
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गोली मारी हो गया , पल भर में इंसाफ
बाँस रहा ना बाँसुरी , हुआ रास्ता साफ
हुआ रास्ता साफ , न्याय में क्यों है देरी
जनता करे सवाल, अदालत कब है मेरी
कहते रवि कविराय,उठ रही अब यह बोली
सिस्टम है बेकार, न्याय का मतलब गोली
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[7/12/2019, 3:05 PM] Ravi Prakash: मैका ना ससुराल( कुंडलिया )
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नारी का अपना कहाँ, मैका ना ससुराल
ब्याही छूटा मायका,पति की उल्टी चाल
पति की उल्टी चाल,कह रहे यह घर मेरा
मैके से ला माल, माँग ले हिस्सा तेरा
कहते रवि कविराय, समस्या यह है सारी
एक किराएदार , जिंदगी भर है नारी
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[7/12/2019, 3:32 PM] Ravi Prakash: व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन( कुंडलिया )
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अपने – अपने ग्रुप बने ,बने एडमिन लोग
काम बहुत अच्छा किया,लेकिन दिखता रोग
लेकिन दिखता रोग, हर मिनट की निगरानी
मोबाइल पर .आँख ,याद आ जाती नानी
कहते. रवि कविराय, देख लो तुम भी सपने
खोलो एक समूह ,आत्मजन हों सब अपने
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[7/12/2019, 7:38 PM] Ravi Prakash: न्याय है इतना धीमा (कुंडलिया)
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सीमा बाँधों समय की , जिसमें आए न्याय
चला मुकदमा साल नौ. यह वकील की आय
यह वकील की आय, रोज .तारीखें .आतीं
होता व्यक्ति निराश ,बीत सदियाँ- सी जातीं
कहते रवि कविराय , न्याय है इतना धीमा
देता धैर्य जवाब , कह रहा बाँधों सीमा
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[10/12/2019, 7:02 PM] Ravi Prakash: चर्चा में है प्याज( कुंडलिया)
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हीरो है इस दौर का,जिसके सिर पर ताज
खाते हो चाहे नहीं ,चर्चा में है प्याज
चर्चा में है प्याज , रुलाता है सरकारें
इसके कारण अस्त ,दीखती सभी बहारें
कहते रवि कविराय, बना देता है जीरो
जिससे यह नाराज, रोल कब उसका हीरो
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[11/12/2019, 9:01 AM] Ravi Prakash: बोला कैदी एक( कुंडलिया)
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दिल्ली में दूषित हवा , बोला कैदी एक
फाँसी क्यों देते मुझे , सुनो मशवरा नेक
सुनो मशवरा नेक , मुझे दिल्ली में डालें
दूषित नभ के बीच,रोज ही मुझको पालें
कहते रवि कविराय,शहर की उड़ती खिल्ली
जल्दी होगी मौत , बसेगा जो भी दिल्ली
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[11/12/2019, 11:48 AM] Ravi Prakash: खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
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पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप
मूँगफली को टूँगते ,बढ़ता जिससे रूप
बढ़ता जिससे रूप, दाल के पापड़ बनते
किसके फंदे तेज, युद्ध स्वेटर पर ठनते
कहते रवि कविराय,बिना परिवार अधूरा
आती तो है धूप,लुत्फ कब मिलता पूरा
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[12/12/2019, 1:38 PM] Ravi Prakash: किला कर रहा याद( कुंडलिया)
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रोता ही दीखा किला ,बीते सत्तर साल
बोला सोचो क्या किया,सबने मेरा हाल
सबने मेरा हाल , बना खस्ता दरवाजा
क्या था मेरा दौर , आज किसको अंदाजा
कहते रवि कविराय , नवाबी युग था होता
किला कर रहा याद, याद कर- करके रोता
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[12/12/2019, 2:01 PM] Ravi Prakash: बेतुका यह बँटवारा (कुंडलिया )
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बँटवारा किसने किया,फल था पाकिस्तान
मजहब के था सामने, बौना तब इंसान
बौना तब इंसान, भागकर जान बचाई
दौलत और मकान ,जेब में किसके आई
कहते रवि कविराय , भागता जो बेचारा
कहता किसकी देन, बेतुका यह बँटवारा
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[13/12/2019, 2:17 PM] Ravi Prakash: हलवा के आधार पर हलवाई नामकरण के महत्व को दर्शाती एक प्रासंगिक कुंडलिया देखिए:-
हलवा(कुंडलिया)
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बोला लड्डू मैं बड़ा , रसगुल्ला बेकार
शुभ कार्यों में सर्वदा , मेरा ही व्यवहार
मेरा ही व्यवहार , न भाती बालूशाही
बर्फी पपड़ी- सोन,आजकल किसने चाही
कहते रवि कविराय ,राज हलवे ने खोला
हलवाई का नाम , नाम पर मेरे बोला
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[16/12/2019, 8:06 PM] Ravi Prakash: जनवासा (कुंडलिया)
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जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात
ना नखरे ना रूठना , नाराजी की बात
नाराजी की बात , बराती नखरे करता
लड़की का था बाप, हाथ को जोड़े डरता
कहते रवि कविराय,झमेला अच्छा खासा
रूकती जहाँ बरात,धर्मशाला जनवासा
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[17/12/2019, 12:49 PM] Ravi Prakash: बँटवारा (कुंडलिया)
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बँटवारा इस देश का ,मजहब था आधार
भागे पाकिस्तान से ,छोड़ा सब घर- बार
छोड़ा सब घर- बार,जान किस तरह बचाई
शरणार्थी का कैंप , चारपाई आ पाई
कहते रवि कविराय,अभी भी आँसू खारा
ताजा होता घाव , याद आता बँटवारा
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[19/12/2019, 12:04 PM] Ravi Prakash: भारत आयुष्मान (कुंडलिया)
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सारी दुनिया कह रही , भारत आयुष्मान
स्वास्थ्य प्रदाता यह बड़ी, सबसे श्रेष्ठ महान
सबसे श्रेष्ठ महान , सभी का रोग मिटाती
जन-जन को यह लाभ,मुफ्त घर-घर पहुँचाती
कहते रवि कविराय, मील का पत्थर भारी
सेहत जिंदाबाद , मिटे बीमारी सारी
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[19/12/2019, 2:14 PM] Ravi Prakash: हिंसा में विश्वास( कुंडलिया)
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अपराधी वह मानिए , हिंसा में विश्वास
आगजनी से कर रहे, लोकतंत्र का ह्रास
लोकतंत्र का ह्रास ,चलो उनको समझाएं
चलें सत्य की राह, अहिंसा को अपनाएं
कहते रवि कविराय,समझ खोता है आधी
करे देश नुकसान, देश का है अपराधी
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[23/12/2019, 1:36 PM] Ravi Prakash: छोड़ दें पत्थरबाजी( कुंडलिया)
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पत्थरबाजी गोलियाँ, भारत लहूलुहान
सड़कों पर कब्जा किए,देखो हैं शैतान
देखो हैं शैतान , जल रही हैं बस कारें
दंगाई का राज , बेबसी में सरकारें
कहते रविकविराय,देश में हों सब राजी
तर्क बहस है ठीक , छोड़ दें पत्थरबाजी
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[23/12/2019, 2:17 PM] Ravi Prakash: खोलो मन के द्वार (कुंडलिया)
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मिलना सबसे चाहिए , दोनों बाँह पसार
गले लगाओ नेह से, खोलो मन के द्वार
खोलो मन के द्वार,कुटिलता कभी न लाओ
रखो बैर मत भाव ,सभी में निज को पाओ
कहते रवि कविराय, फूल का जैसे खिलना
सबको बाँटो प्यार,जब जहाँ जिस से मिलना
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[26/12/2019, 1:25 PM] Ravi Prakash: पढ़कर करिए वाह (कुंडलिया)
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रचना जब जिसकी पढ़ें,पढ़कर करिए वाह
दोषों को इंगित करें ,किसकी रहती चाह
किसकी रहती चाह, समीक्षक सदा सराहें
तारीफों के बाँध , सर्वदा पुल ही चाहें
कहते रवि कविराय,दोष- दर्शन से बचना
करो वाह जी वाह , वाह क्या सुंदर रचना
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[30/12/2019, 10:17 PM] Ravi Prakash: नया साल( कुंडलिया )
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आया हँसता खेलता ,नया साल खुशहाल
बोला अपने मिल गए, अब मैं मालामाल
अब मैं मालामाल,सभी जन मिलकर आओ
चलो मनाएँ मौज ,साथ में मिलकर गाओ
कहते रवि कविराय , वर्ष नव ऐसे छाया
पहने नया नकाब , वस्त्र नव पहने आया
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[31/12/2019, 12:12 PM] Ravi Prakash: नव वर्ष शुभ हो (कुंडलिया)
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देते हैं शुभकामना , करें बंधु स्वीकार
नया वर्ष हो आपको , मंगल बारंबार
मंगल बारंबार , नया उत्साह जगाए
सदा रहें खुश आप,चेहरा खिल- खिल जाए
कहते रवि कविराय, नाव जीवन की खेते
बीते सारा वर्ष , आपको खुशियाँ देते
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[4/1/2020, 12:33 PM] Ravi Prakash: चक्की (कुंडलिया)
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चक्की में गेहूँ पिसा , चलती प्रातः शाम
हर घर में हर रोज ही ,होता था यह काम
होता था यह काम , शुद्ध आटे को पाते
खिली हुई मुस्कान , संग में लेकर आते
कहते रवि कविराय, बात यह सुन लो पक्की
सेहत का था राज ,गुम हुई अब जो चक्की
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[7/1/2020, 10:43 AM] Ravi Prakash: हाथी राजा (कुंडलिया)
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हाथी राजा चल पड़े ,पहने पेंट कमीज
बोले सर्दी सामने , मेरे है क्या चीज
मेरे है क्या चीज , आँख में मेरी झाँको
दर्जी कितना योग्य ,सोच कर देखो आँको
कहते रवि कविराय,मनुज का सच्चा साथी
चलता कैसे झूम , शान दिखलाता हाथी
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[9/1/2020, 1:45 PM] Ravi Prakash: चाय (कुंडलिया)
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सर्दी में अच्छी लगी ,अदरक वाली चाय
गर्मी के अहसास का, सुंदर एक उपाय
सुंदर एक उपाय , युद्ध सर्दी से जीते
पीते लोग गरीब , सेठ जी देखो पीते
कहते रवि कविराय,ताजगी भीतर भर दी
जिसने पी ली चाय,कब लगी उसको सर्दी
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[13/1/2020, 11:19 AM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
दिनांक 13 जनवरी 2020
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गुरु और शिष्य (कुंडलिया)
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बच्चे यह कहने लगे, गुरु के चरण महान
सिखलाओ गुरु जी हमें,भीतर का सब ज्ञान
भीतर का सब ज्ञान ,विनय का गुण दे जाना
किंचित भी अभिमान, पास मत हममें लाना
कहते रवि कविराय , नहीं रहना है कच्चे
सीखेंगे दिन रात , रहेंगे जैसे बच्चे
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[14/1/2020, 5:52 PM] Ravi Prakash: आओ नाचें (कुंडलिया)
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आओ नाचें आग के, मिलकर चारों ओर
मूँगफली गुड़ का मचे, त्यौहारों- सा शोर
त्यौहारों – सा शोर , सर्दियाँ दूर भगाएँ
राग रंग उत्साह , चलो भीतर ले आएँ
कहते रवि कविराय,भूल सब सुस्ती जाओ
थिरकें सब के पाँव , जनवरी है सब आओ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[14/1/2020, 11:55 PM] Ravi Prakash: सर्दी (कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
आई जमकर सर्दियाँ, पहली- पहली बार
ठंडक कुछ कम कीजिए,हे जग पालनहार
हे जग पालनहार , न कुल्फी और जमाओ
मैदानों में शीत, पर्वतों – सी मत लाओ
कहते रवि कविराय,गरम कब गरम रजाई
जब लेते हैं साँस , साथ में सर्दी आई
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[15/1/2020, 11:21 PM] Ravi Prakash: खिचड़ी(कुंडलिया)
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खाना खिचड़ी सीखिए, जिसमें दो का मेल
चावल दाल मिले सही,समझो मत यह खेल
समझो मत यह खेल, मेल से रंग निखरता
एक अकेली दाल , एक चावल क्या करता
कहते रवि कविराय , सात सुर गढ़ते गाना
पापड़ दही अचार , स्वाद से भरते खाना
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[16/1/2020, 12:35 PM] Ravi Prakash: खाता चीजें मुफ्त की (कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
खाता चीजें मुफ्त की, जो देती सरकार
वोटर पाकर वस्तुएँ, करता जय-जयकार
करता जय- जयकार,फूलता नहीं समाता
समझे हित की बात , कौन गहरे में जाता
कहते रवि कविराय, बना मूरख मतदाता
मालिक देखो आप ,माँगकर लगता खाता
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[17/1/2020, 4:28 PM] Ravi Prakash: दो बच्चों का कानून (कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””‘””””””””””
दो बच्चों का चाहिए , होना अब कानून
देश समूचा कह रहा ,दिल्ली लखनउ दून
दिल्ली लखनउ दून, सभी की राय यही है
छोटा हो परिवार , सभी कह रहे सही है
कहते रवि कविराय,देश अब हो सच्च्चों का
घटे देश पर बोझ ,देश हो दो बच्चों का
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[18/1/2020, 12:01 AM] Ravi Prakash: रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)
“””””””‘”””'””””””””””‘””””””””””””””””””””””””
(1)
हुई रामपुर की धरा ,भारत- भर की शान
बापू की यादें बनीं, नवयुग की पहचान
नवयुग की पहचान , राख बापू की पाई
बेशकीमती चीज ,रजा खाँ की थी लाई
कहते रवि कविराय,जगे जयहिंद गान सुर
सबसे प्रथम विलीन, रियासत हुई रामपुर
(2)
होते नहीं नवाब तो , आती कैसे राख
सारे भारत में कहो, बनती कैसे साख
बनती कैसे साख, रजा खाँ की अगुवाई
गाँधीजी की याद , रामपुर में आ पाई
कहते रवि कविराय,राजशासक यदि सोते
बापू के अवशेष , रामपुर में क्या होते ?
(3)
भारत धन्य धरा हुई , धन्य रामपुर नाम
एक रियासत में बना ,बापू स्मारक धाम
बापू स्मारक धाम , देश भारत जय गाता
यह नवाब की सोच, हवा का रुख बतलाता
कहते रवि कविराय, नहीं यह सिर्फ इमारत
इसका था संदेश , रामपुर समझो भारत
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[18/1/2020, 12:01 PM] Ravi Prakash: कोठी खासबाग( कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘
पहले एसी था नहीं ,कोठी थी पर खास
रखी बरफ की सिल्लियाँ,हवा इसी से पास
हवा इसी से पास , गई कमरों में आई
बिजली मोटर तेज , एक भारी लगवाई
कहते रवि कविराय,भले कोई कुछ कह ले
अब हैं जो आराम , ठाठ वह कब थे पहले
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[18/1/2020, 1:16 PM] Ravi Prakash: आया माघ महावटें( कुंडलिया )
☔☔☔☔☔☔☔☔
आया माघ महावटें , करती आईं शोर
बारिश में डूबी हुई , सुनो रात से भोर
सुनो रात से भोर,लगा वर्षा ऋतु छाई
सावन की बौछार,शीत ऋतु ने दिखलाई
कहते रवि कविराय,बूँद बारिश जो खाया
उसको हुआ जुकाम, छींकता देखो आया
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[20/1/2020, 10:55 AM] Ravi Prakash: शाहीन बाग (कुंडलिया)
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दिल्ली आएँ देखिए , वाह बाग शाहीन
पिकनिक जैसे चल रही,वाह- वाह क्या सीन
वाह- वाह क्या सीन , चला नित खाना-पीना
मस्ती का माहौल , इसे कहते हैं जीना
कहते रवि कविराय, राह पर डंडा- गिल्ली
रुका रासता जाम , नर्क से बदतर दिल्ली
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[21/1/2020, 11:04 PM] Ravi Prakash: शादी के खर्चे (कुंडलिया)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
शादी के खर्चे बढ़े , मँहगा होटल भोज
इसकी खातिर श्रम किया,कितने वर्षों रोज
कितने वर्षों रोज , सोच कर देखो भाई
जोड़े रुपै तमाम , कर्ज की नौबत आई
कहते रवि कविराय , नहीं हो यूँ बर्बादी
सोच-समझ के साथ ,खर्च में करिए शादी
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[23/1/2020, 10:59 AM] Ravi Prakash: शाही रेल( कुंडलिया)
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
होती थी पहले यहाँ , कोई शाही रेल
अलग नवाबों के लिए,शाही था यह खेल
शाही था यह खेल, निजी रेलों से जाते
अलग रेल में बैठ, जुदा शाही सुख पाते
कहते रवि कविराय, रेल शाही अब रोती
कहती मेरा दौर , एक थी मैं भी होती
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[24/1/2020, 9:30 AM] Ravi Prakash: बनता जंगल बाग (कुंडलिया )
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देखा- भाली कीजिए, वरना खाते जंक
बात सही सबके लिए , राजा हो या रंक
राजा हो या रंक , चीज की यह बर्बादी
यादों की बारात ,याद में खुद ढल जाती
कहते रवि कविराय,बनो सुंदर- सा माली
बनता जंगल बाग, नहीं यदि देखा- भाली
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 545 1
[24/1/2020, 12:41 PM] Ravi Prakash: सबसे बड़ा सवाल ( कुंडलिया )
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मर जाएँगे आज ही , या जीवित सौ साल
लेकिन उससे क्या हुआ,सबसे बड़ा सवाल
सबसे बड़ा सवाल,खेल किस लिए चलाया
क्यों जाता इंसान,किस लिए जग में आया
कहते रवि कविराय , समझ कैसे पाएँगे
जीवन के दिन चार,और फिर मर जाएँगे
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
[24/1/2020, 12:55 PM] Ravi Prakash: यह रुतबे का कार्ड( कुंडलिया)
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बर्बादी – सिस्टम बने ,पुलिस सुरक्षा गार्ड
नेताओं के मध्य में, यह रुतबे का कार्ड
यह रुतबे का कार्ड, गार्ड .बेचारा रोता
नहीं देश की शान, रोज नेता को ढोता
कहते रवि कविराय , हमारे नेता आदी
किसी-किसी का ठीक,शेष धन की बर्बादी
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रचयिता रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451
[24/1/2020, 1:02 PM] Ravi Prakash: अभिनंदन( कुंडलिया)
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अभिनंदन किसका हुआ,किसका है सम्मान
किसको फूलों की हुई , माला शाल प्रदान
माला शाल प्रदान , भेद यह चतुर बताते
होशियार तारीफ , आप अपनी करवाते
कहते रवि कविराय , खर्च करना पड़ता धन
फोकट का कब काम, दाम मँहगा अभिनंदन
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451
[24/1/2020, 2:50 PM] Ravi Prakash: रामपुर शाही बँटवारा( 1974- 2019) कुंडलिया
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पैंतालिस बरसों चला, चौहत्तर से केस
लड़ने वाले मर गए, ऐसा अपना देस
ऐसा अपना देस , इमारत खँडहर पाई
दादा के फिर बाद, पौत्र ने लड़ी लड़ाई
कहते रवि कविराय,गया वादी देखो पिस
सिस्टम का है दोष, साल लंबे पैंतालिस
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रचयिता: रविप्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451
[25/1/2020, 10:57 AM] Ravi Prakash: लेकिन रस्ता जाम(कुंडलिया)
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धरना तक तो ठीक है,लेकिन रस्ता जाम
सख्ती होनी चाहिए, इस पर लगे लगाम
इस पर लगे लगाम ,देश बंधक बन जाए
यह अ-राज का नाम,कौन जायज ठहराए
कहते रवि कविराय, देर मत करना वरना
गली- सड़क हर गाँव, आप देखेंगे धरना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[25/1/2020, 11:40 AM] Ravi Prakash: शौचालय सौगात( कुंडलिया )
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गाँव- शहर में खुल रहे , शौचालय हर ओर
बीत रही गहरी निशा , आया नवयुग भोर
आया नवयुग भोर , घोर तम गया मिटाया
धवल स्वच्छता भाव ,लोक के मन में आया
कहते रवि कविराय,खुले अब हर घर-घर में
शौचालय सौगात , गली हर गाँव – शहर में
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 545 1
[27/1/2020, 1:20 PM] Ravi Prakash: साहित्यिक चोरी( कुंडलिया )
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चोरी जमकर कीजिए,नकल करें चहुँओर
लेखन में यह चल रहा, इसका ही है जोर
इसका ही है जोर, लिखा औरों का गाओ
समझो अपना माल,शर्म को छोड़ चुराओ
कहते रवि कविराय,चल रही जोरा- जोरी
बन साहित्यिक चोर , ठाठ से करिए चोरी
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1
[29/1/2020, 2:54 AM] Ravi Prakash: लोन सब बट्टे खाते (कुंडलिया)
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मोटे लोगों ने किया, बैंकों को बस फोन
एक रुपै की चीज है, सौ रपए का लोन
सौ रुपए का लोन, लोन सब बट्टे खाते
इसका बढ़ता बोझ,आमजन सिर्फ उठाते
कहते रवि कविराय, देश के नेता खोटे
मिलीभगत से लोग, रोज मोटे पर मोटे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[1/2/2020, 3:59 PM] Ravi Prakash: प्रेम के पक्षी घर-घर( कुंडलिया)
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सात कबूतर आ गए , बोले करो विचार
गोरी क्यों खोई हुई , प्रियतम भेजो द्वार
प्रियतम भेजो द्वार , डाक को लेकर जाएँ
रोओ मत संदेश , मीत को हम पहुँचाएँ
कहते रवि कविराय , प्रेम के पक्षी घर-घर
जहाँ चाह है राह , वहाँ हैं सात कबूतर
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा ,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[2/2/2020, 11:46 AM] Ravi Prakash: पूर्वाग्रह (कुंडलिया)
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गलती यह सबकी रही , जैसा जिसका वेश
पूर्वाग्रह पीड़ित हुआ , अपना पूरा देश
अपना पूरा देश , सही भी किंतु अखरना
कुछ को केवल वाह ,वाह ही जमकर करना
कहते रवि कविराय, हवा कुछ ऐसी चलती
अपनों का सब ठीक दूसरों की सब गलती
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[2/2/2020, 11:51 AM] Ravi Prakash: चलती का नाम गाड़ी( कुंडलिया)
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चलती का लो रख दिया , सबने गाड़ी नाम
जुड़ी हुई यह आज से , वर्तमान से काम
वर्तमान से काम , सदा इस क्षण जो जीता
क्या भविष्य क्या भूत , रहा दोनों से रीता
कहते रवि कविराय , नहीं चलती की गलती
उसको करो प्रणाम , आज है जिसकी चलती
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रचयिता ःरवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451
[3/2/2020, 11:44 AM] Ravi Prakash: दाँत मंजन रोजाना( कुंडलिया )
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रोजाना मंजन करो , सोओ उसके बाद
दाँत अभागे कर रहे , सबसे यह फरियाद
सबसे यह फरियाद , करो ब्रश फिर ही सोना
नहीं लगेगा रोग , दाँत का रोना – धोना
कहते रवि कविराय , राज सबको बतलाना
चाह रहे हर रात , दाँत मंजन रोजाना
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451
[4/2/2020, 3:07 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
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ध्यानावस्थित लोग(कुंडलिया)
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उगता सूरज सामने , ध्यानावस्थित लोग
साँसें प्राणायाम से , मिटते सारे रोग
मिटते सारे रोग , नए अनुभव नित होते
चलती ज्यों पतवार , ध्यान में ऐसे खोते
कहते रवि कविराय , हंस मोती को चुगता
जिनके हैं सद्भाग्य , देखते सूरज उगता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 61 5451
[4/2/2020, 8:48 PM] Ravi Prakash: दही (कुंडलिया)
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खाते जो प्रतिदिन दही, देखो उनकी शान
तन होता बूढ़ा नहीं , रहता सदा जवान
रहता सदा जवान , पचा करता है खाना
ठंडा रहे दिमाग , नहीं गुस्से का आना
कहते रवि कविराय , मुक्ति रोगों से पाते
दही कटोरी एक , रोज सज्जन जो खाते
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[7/2/2020, 10:11 AM] Ravi Prakash: रोज डे वेलेंटाइन वीक(कुंडलिया)
??????????
सात फरवरी से शुरू , वेलेंटाइन वीक
खुशबूदार गुलाब से , शुरू हुआ यह ठीक
शुरू हुआ यह ठीक, रोज डे लगता प्यारा
देकर गिफ्ट गुलाब , जीत जाएगा हारा
कहते रवि कविराय ,नहीं अब माह जनवरी
मौसम है कुछ और , मस्त है सात फरवरी
??????????
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[9/2/2020, 11:11 AM] Ravi Prakash: एग्जिट पोल(कुंडलिया)
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फंडा टीवी का नया , देखो एग्जिट पोल
दो दिन पहले कह दिया , इसका डिब्बा गोल
इसका डिब्बा गोल , किसी की जीत दिखाई
वोटर का आभार , रपट सर्वे की आई
कहते रवि कविराय , जीत का फहरा झंडा
कल से पहले आज , फूल – माला का फंडा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[9/2/2020, 2:46 PM] Ravi Prakash: पीएचडी इस पर करो (कुंडलिया)
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बनते कैसे देश में , नेताओं के ट्रस्ट
पीएचडी इस पर करो , नेता कितने भ्रष्ट
नेता कितने भ्रष्ट , कहाँ कितनी बीमारी
कितने लूटे नोट , भूमि मारी सरकारी
कहते रवि कविराय , हाथ मुख देखो सनते
अरबोंपति दस-बीस , साल में नेता बनते
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[10/2/2020, 11:32 AM] Ravi Prakash: आया फागुन माह (कुंडलिया)
???????????
गाओ हर्ष विभोर हो , आया फागुन माह
मस्त महीना कह रहा , चलो प्रेम की राह
चलो प्रेम की राह , कलुषता मन की धोना
जीवन से रस रंग , हँसी हरगिज मत खोना
कहते रवि कविराय , चलो त्यौहार मनाओ
ऋतु बसंत का राग ,साथ सब मिलकर गाओ
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रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[10/2/2020, 11:49 AM] Ravi Prakash: लिफाफा भोजन शादी( कुंडलिया)
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शादी में मुश्किल बड़ी ,सबसे मँहगा भोज
बीस बरस तक जोड़िए , रुपए रख-रख रोज
रुपए रख-रख रोज , फँसे फिर खाने वाले
लिए लिफाफा साथ , भोज में जाने वाले
कहते रवि कविराय, आज सब इसके आदी
यह आदान-प्रदान , लिफाफा भोजन शादी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल999 7615451
[11/2/2020, 10:43 AM] Ravi Prakash: जीती ई वी एम सदा (कुंडलिया)
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जीती ई वी एम सदा , हारे मैं या आप
लोकतंत्र में कीजिए ,जन गण मन का जाप
जन गण मन का जाप , हार स्वीकारें करना
जनता का आदेश , नहीं इतराना डरना
कहते रवि कविराय , कलुष भावों से रीती
जनता देती वोट , आज तक जनता जीती
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[11/2/2020, 11:11 AM] Ravi Prakash: चाँद मुठ्ठी में पाया (कुंडलिया)
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पाया मुट्ठी में कहाँ , किसने चूमा चाँद
सपने कब उछले कभी , सीमाओं को फाँद
सीमाओं को फाँद , चाँद को कविता गाती
सुंदरतम जो चीज , दीख चंदा-सी पाती
कहते रवि कविराय, रोज का अनुभव आया
टुकड़ों में ही चाँद , जेब में सबने पाया
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451
[11/2/2020, 12:12 PM] Ravi Prakash: ईश्वर को दो वोट (कुंडलिया)
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धूप मिली है मुफ्त में, कुदरत का वरदान
नदियों से जल मिल रहा,किए बिना भुगतान
किए बिना भुगतान , फूल फल सब्जी प्यारी
मिली मुफ्त में भूमि , संग पर्वत के सारी
कहते रवि कविराय,सुमन हर कली खिली है
ईश्वर को दो वोट , मुफ्त में धूप मिली है
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 54 51
[11/2/2020, 4:12 PM] Ravi Prakash: उच्च मूल्यों को भूले (कुंडलिया)
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चलता सिक्का जाति का , करता बंटाधार
देते वोट बधाइयाँ , जातिवाद आधार
जातिवाद आधार , उच्च मूल्यों को भूले
झूला जैसे बाल , तुच्छ मेले में झूले
कहते रवि कविराय , आपका चिंतन खलता
लो मत छोटे लाभ ,कहो मत यह सब चलता
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451
[11/2/2020, 7:37 PM] Ravi Prakash: जीवन का मतलब (कुंडलिया)
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मतलब जीवन का कहो, ज्यों क्रिकेट का मैच
कोई शतक बना रहा ,कुछ जीरो पर कैच
कुछ जीरो पर. कैच , खेल दिखलाकर जाते
दो पल की तारीफ , शान अपनी बिखराते
कहते रवि कविराय ,अर्थ क्या पद का धन का
क्या प्रसिद्ध गुमनाम ,नहीं मतलब जीवन का
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
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[11/2/2020, 7:44 PM] Ravi Prakash: यह शतरंजी खेल (कुंडलिया )
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ज्यादा सबसे वे दुखी , तन को ढोते लोग
तन जिनका बीमार है , तन को सौ-सौ रोग
तन को सौ-सौ रोग, मरण की आशा करते
अभी खिंचेगा और , सोचकर जीवन डरते
कहते रवि कविराय , आदमी होता प्यादा
यह शतरंजी खेल , नहीं चलता है ज्यादा
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रामपुर उत्तर प्रदेश
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[12/2/2020, 8:07 AM] Ravi Prakash: दिल्ली दो के बीच( कुंडलिया )
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फँसकर देखो रह गई , दिल्ली दो के बीच
रोजाना झगड़े हुए , फैली रहती कीच
फैली रहती कीच , रोज रोड़े अटकाते
दो दल की सरकार , दिशा दो दल अपनाते
कहते रवि कविराय , सहो रोकर या हँसकर
नौका है मँझधार , देख लो अटकी फँसकर
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 545 1
[12/2/2020, 11:05 PM] Ravi Prakash: वोटर फाँसो (कुंडलिया)
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पानी बिजली मुफ्त दो , अच्छा- सा आवास
मुफ्त दवा दारू मिले , भोजन खासमखास
भोजन खासमखास, मुफ्त में पान खिलाओ
छह बच्चों के साथ , सैर हर माह कराओ
कहते रवि कविराय , नहीं पटना आसानी
वोटर फाँसो फेंक , ढेर – सा दाना पानी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[13/2/2020, 10:45 AM] Ravi Prakash: अर्चना जी अभिनंदन(कुंडलिया)
??????????
अभिनंदन की पात्र हैं , कुंडलियाँ बेजोड़
एक – एक से कर रहीं , आगे बढ़कर होड़
आगे बढ़कर होड़ , कथ्य की छटा निराली
और वक्रता – कला , खूब कहने में डाली
कहते रवि कविराय,हुआ नतमस्तक जन मन
करें आज स्वीकार , अर्चना जी अभिनंदन
?????????
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451
[15/2/2020, 10:45 AM] Ravi Prakash: केवल दसवाँ पास( कुंडलिया )
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शाही कोठी खास हो , तुमने देखे ख्वाब
इंटर विद्यालय कहाँ , तुमसे बना नवाब
तुमसे बना नवाब , लोग चंदौसी जाते
केवल दसवाँ पास , रामपुर से कर पाते
कहते रवि कविराय , लोकपथ की कब राही
जनता रही गरीब , राजसत्ता थी शाही
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999761 5451
[15/2/2020, 12:19 PM] Ravi Prakash: दाबे बैठे( कुंडलिया )
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दाबे बैठे देश का , रुपया धन्ना सेठ
कोई देवर लग रहा , कोई लगता जेठ
कोई लगता जेठ , करोड़ हजारों खाए
खर्चे शाही ठाठ , कर्ज पर सब फैलाए
कहते रवि कविराय , पान सुरती का चाबे
दिखते मालामाल , माल अरबों का दाबे
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[15/2/2020, 5:49 PM] Ravi Prakash: फर्जी मैसेज कॉल (कुंडलिया)
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धोखा देने में लगे , धोखेबाज तमाम
फर्जी कॉलें कर रहे , जनता को यह आम
जनता को यह आम , दिया अच्छा-सा झाँसा
जीते आप करोड़ , कहा फिर जमकर फाँसा
कहते रवि कविराय , आजकल धंधा चोखा
कर देंगे कंगाल , आपको देकर धोखा
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 545 1
[15/2/2020, 9:08 PM] Ravi Prakash: सिर पर मटकी (कुंडलिया)
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मटकी सिर पर है रखी , उतरे कैसे आप
भारी इतनी लग रही , अरे बाप रे बाप
अरे बाप रे बाप , जरा – सी मदद कराएँ
तनिक सहारा लोग , हाथ का लेकर आएँ
कहते रवि कविराय , बीच में गोरी अटकी
क्यों आफत ली मोल,शीश पर रक्खी मटकी
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 7615 451
[17/2/2020, 7:36 PM] Ravi Prakash: ब्रजघाट (कुंडलिया)
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मनभाते क्या घाट हैं , सुंदरतम ब्रजघाट
खुले गगन की मस्तियाँ , बहती नदी विराट
बहती नदी विराट , शुद्ध घी पूरी आलू
कुल्हड़ वाली चाय , बर्फ का बक्सा चालू
कहते रवि कविराय , साफ-सुथरे यदि पाते
हरिद्वार से होड़ , घाट लेते मनभाते
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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दिनांक 16 फरवरी 2020 रविवार
[18/2/2020, 10:28 AM] Ravi Prakash: जाएँ यदि ब्रजघाट तो( कुंडलिया )
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जाएँ यदि ब्रजघाट तो , जाएँ छेदालाल
गर्म कचौड़ी खाइए , गोल – गोल जो लाल
गोल-गोल जो लाल , बनी मेथी की चटनी
आलू कद्दू वाह , स्वाद क्या जीभ न हटनी
कहते रवि कविराय , भोज पत्तल में खाएँ
हलवाई का नाम , याद कर – करके जाएँ
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[18/2/2020, 12:05 PM] Ravi Prakash: जाती सर्दी (कुंडलिया)
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जाती सर्दी का करो , हर्गिज मत उपहास
सत्ता से उतरी हुई , फिर भी रुतबा खास
फिर भी रुतबा खास, रौब अपना दिखलाती
रस्सी तो जल गई ,मगर बल फिर भी खाती
कहते रवि कविराय , लौटकर लगता आती
थोड़ा गुस्सा शान , शीत दिखला कर जाती
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[18/2/2020, 12:12 PM] Ravi Prakash: प्रभु का आभार ( कुंडलिया )
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जितना जीवन में मिला, सब प्रभु का आभार
मस्तक को नत कीजिए , आकर उसके द्वार
आकर उसके द्वार , कृपा बस उसकी पाई
उसका शुभ आशीष , खुशी जीवन में छाई
कहते रवि कविराय ,मिला मत सोचो कितना
पाओ धन – संतोष , तृप्त हो पाया जितना
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/2/2020, 8:16 AM] Ravi Prakash: रस्ता रोके दादियाँ( कुंडलिया)
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रस्ता रोके दादियाँ , कहाँ रही हैं मान
समझाना इनको हुआ,मुश्किल कब आसान
मुश्किल कब आसान , रो रहे पोते – पोती
दादी जिद दो छोड़ , सड़क तो सबकी होती
कहते रवि कविराय , देश की हालत खस्ता
दादा हैं गुमनाम , दादियाँ रोके रस्ता
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[20/2/2020, 6:53 PM] Ravi Prakash: कुदरत का वरदान (कुंडलिया)

झीलें झरने घाटियाँ , नदियाँ और पहाड़
इनमें आना चाहिए , हर्गिज नहीं बिगाड़
हर्गिज नहीं बिगाड़ , नेह से लाड़ लड़़ाएँ
इनसे लें आशीष , हर्ष से भर – भर जाएँ
कहते रवि कविराय,देखकर इनको जी लें
कुदरत का वरदान , रूप का सागर झीलें
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[20/2/2020, 7:18 PM] Ravi Prakash: टके की दो कुंडलियाँ( कुंडलिया)
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कुंडलियाँ हमने लिखीं , हम ठहरे मजदूर
कीमत आप लगाइए , साहिब आप हजूर
साहिब आप हजूर , रोज हम कलम चलाते
यही फावड़ा पास , साथ में लेकर जाते
कहते रवि कविराय , शब्द की चुनते कलियाँ
क्या अपनी औकात , टके की दो कुंडलियाँ
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[20/2/2020, 8:37 PM] Ravi Prakash: कचहरी (कुंडलिया )
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भागा-भागा जो गया , गया कचहरी दौड़
उसको सोचो क्या मिला ,गया पास से और
गया पास से और , मिले मकड़ी के जाले
दो पीढ़ी के बाद , न्याय के खुलते ताले
कहते रवि कविराय , न देखा पीछा- आगा
हो जाता बर्बाद , केस करने जो भागा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 54 51
[20/2/2020, 8:38 PM] Ravi Prakash: फर्जी चारों ओर( कुंडलिया )
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फर्जी डॉक्टर बन गए , फर्जी बने वकील
फर्जी नेता दिख रहे , सब जनता की ढील
सब जनता की ढील , मूर्ख चालाक बनाते
फर्जी चारों ओर , लोग झाँसे में आते
कहते रवि कविराय , तोप इनकी यों गरजी
आवाजें घनघोर , तोप के गोले फर्जी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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[20/2/2020, 11:41 PM] Ravi Prakash: राजा रानी (कुंडलिया)
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राजा रानी अब .कहाँ , इनकी शाही शान
संविधान ने कह दिया , सब हैं एक समान
सब हैं एक समान , रौब है लेकिन जारी
गया कढ़ाई – दूध , शेष पर खुरचन भारी
कहते रवि कविराय , बजी शहनाई बाजा
दौलत जिसके पास , आज भी वह है राजा

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[21/2/2020, 10:11 AM] Ravi Prakash: दादी हैं कठपुतलियाँ (कुंडलिया)
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दादी हैं कठपुतलियाँ , दादाओं का खेल
दादाओं की उँगलियाँ , किया डोर से मेल
किया डोर से मेल , खेल यह देखो जारी
दादाओं की डोर , तर्क पर अब भी भारी
कहते रवि कविराय , दादियाँ कब उन्मादी
पीछे दादा लोग , भीड़ में आगे दादी
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रामपुर( उत्तर प्रदेश )
[21/2/2020, 10:47 AM] Ravi Prakash: लिखी है सिर्फ विदाई (कुंडलिया)
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चाहे गरजो जोर से , चाहे पटको पैर
धरती तो अब हो गई , सर्दी तुमसे गैर
सर्दी तुमसे गैर , लिखी है सिर्फ विदाई
थोड़े दिन की बात , देखना गर्मी छाई
कहते रवि कविराय , नया हर एक सराहे
मौसम चाहे शीत , ग्रीष्म वर्षा का चाहे
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
[21/2/2020, 11:54 AM] Ravi Prakash: शिव पूजन( कुंडलिया )
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देते हैं शिव आपको , दिए आप के बेर
सारा जग है आपका , समझें देर- सबेर
समझें देर- सबेर , ज्ञान का दीप जलाते
बाहर भी हैं आप , आपको भीतर पाते
कहते रवि कविराय ,नहीं धन दौलत लेते
जिसकी भोली चाल , आप आ दर्शन देते
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[22/2/2020, 3:04 PM] Ravi Prakash: मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)
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भूले पक्षी घोंसला , नहीं एक भी बार
उड़ते दिन भर हों कहीं , हुई शाम निज द्वार
हुई शाम निज द्वार , मनुज पक्षी से सीखे
लिए हाथ में हाथ , साँझ को घर पर दीखे
कहते रवि कविराय , मस्त सावन के झूले
फागुन की रसधार , प्यार पति – पत्नी भूले
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[25/2/2020, 1:35 PM] Ravi Prakash: सद्व्यवहार ( कुंडलिया )
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करना सबको चाहिए , सबसे सद्व्यवहार
इसमें छोटा या बड़ा , समझो तुच्छ विचार
समझो तुच्छ विचार , आचरण सभ्य बनाओ
करो किसी से बात , पेश इज्जत से आओ
कहते रवि कविराय , साफ ज्यों जल का झरना
रखना हृदय विशाल , सीख लो आदर करना
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[25/2/2020, 1:41 PM] Ravi Prakash: नेता नए नवाब (कुंडलिया )
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राजा रानी हैं नए , नेता नए नवाब
अरबों खरबों के किले , इनके शाही ख्वाब
इनके शाही ख्वाब , राजसी महल बनाते
कोठी अपने नाम , मुफ्त में यह करवाते
कहते रवि कविराय , क्षेत्र में बजता बाजा
इन की पक्की सीट , राज करते ज्यों राजा
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[25/2/2020, 1:50 PM] Ravi Prakash: व्हाट्सएप का बोझ (कुंडलिया)
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बेचारे पर देखिए , कितना तगड़ा भार
सोलह का है एडमिन , पैसठ का है यार
पैंसठ का है यार , रात-दिन भागा फिरता
व्हाट्सएप का बोझ ,काम में रहता घिरता
कहते रवि कविराय , घरों सड़कों पर सारे
मोबाइल में लीन , लोग देखो बेचारे
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[4/3/2020, 12:04 PM] Ravi Prakash: खुली हथेली रंग भरी (कुंडलिया)
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मिलकर होली खेलते , रंगों का त्यौहार
खुली हथेली रँग भरी , जुड़तीं लेकर प्यार
जुड़तीं लेकर प्यार , बतातीं जुड़ना सीखो
सदा लिए अनुराग , नेह से भरते दीखो
कहते रवि कविराय,रहो फूलों- से खिलकर
बिखरें रंग हजार , एक दूजे से मिलकर
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[9/3/2020, 12:35 PM] Ravi Prakash: खाली स्ट्राँग रूम( कुंडलिया)
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खुलते ही भौंचक सभी , खाली स्ट्राँग रूम
हीरे -मोती की मची , जिसकी अब तक धूम
जिसकी अब तक धूम,खजाना खाली पाया
गायब धन भंडार , कहाँ पर सिरकी माया
कहते रवि कविराय , अगर मिलते तो तुलते
सोना चाँदी रत्न , अशर्फी बक्से खुलते
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[12/3/2020, 10:16 AM] Ravi Prakash: होली की सेल्फी (कुंडलिया)
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
आती है होली लिए , रंगों भरे गुलाल
सेल्फी लेना चाहिए , प्यारे फिर इस साल
प्यारे फिर इस साल ,पुते मुख को दिखलाओ
अपने मुख को देख , आप मन-मन हरषाओ
कहते रवि कविराय , रंग की छटा सुहाती
इंतजार के बाद , साल में होली आती
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[12/3/2020, 11:01 AM] Ravi Prakash: पोते सँग दादा (कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
दादा जी को मल रहा , पोता लाल गुलाल
पोते के सँग खेलकर , दादा हुए निहाल
दादा हुए निहाल , कहा मत हमको छोड़ो
पकड़ो कस के लाल , प्रीत की मटकी फोड़ो
कहते रवि कविराय ,ब्याज का लालच ज्यादा
होली में इस बार , व्यस्त पोते सँग दादा
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[12/3/2020, 11:20 AM] Ravi Prakash: गोद में पोता – पोती (कुंडलिया)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
होती होली सिर्फ तब , जब होता परिवार
बेटे बहुओं से खुशी , खुलते सुख के द्वार
खुलते सुख के द्वार , बने अब दादी दादा
पत्नी पति का प्यार , रोज है थोड़ा ज्यादा
कहते रवि कविराय , गोद में पोता- पोती
जीवन क्षण अनमोल , साठ में होली होती
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
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[6/4/2020, 5:54 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
डूबा सूरज (कुंडलिया)
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डूबा सूरज शान से ,घिरकर आई शाम
सोएगा यह रात भर , करता है आराम
करता है आराम , काम पर फिर आएगा
फिर से नया प्रभात , रोशनी बिखराएगा
कहते रवि कविराय , रीति से कभी न ऊबा
इससे ही दिन- रात , रोज उगकर फिर डूबा
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[12/5/2020, 10:58 AM] Ravi Prakash: नेताजी की मौज( कुंडलिया )
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पाते बढ़िया आजकल ,नेताजी का काम
घर बैठे वेतन मिले ,भत्तों का आराम
भत्तों का आराम ,मुफ्त की कोठी पाई
पुलिस ड्राइवर कार ,मौज की रोज उड़ाई
कहते रवि कविराय ,आमजन पूँजी खाते
घटते प्रतिदिन नोट ,जेब को हल्की पाते
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[14/5/2020, 11:12 AM] Ravi Prakash: जिनके बच्चे सात( कुंडलिया )
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छूटे सरकारी मिलें , जिनका बच्चा एक
सीमित घर परिवार हो ,नीति सिर्फ यह ठीक
नीति सिर्फ यह ठीक ,कई बच्चे अब भारी
रोके दृढ़ कानून , कहे यह भी बीमारी
कहते रवि कविराय ,सब्सिडी सब धन लूटे
जिनके बच्चे सात ,मिलें क्यों उनको छूटे
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[21/5/2020, 6:36 PM] Ravi Prakash: सोच मत रखिए छोटी (कुंडलिया)
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छोटी – छोटी बात को ,करिए नजरंदाज
यही नजरिया ठीक है ,यही ठीक अंदाज
यही ठीक अंदाज ,दृष्टि को बड़ा बनाएँ
मिले मान अपमान ,नेह से सब अपनाएँ
कहते रवि कविराय ,बात है बस यह मोटी
बड़े प्रश्न लें हाथ ,सोच मत रहिए छोटी
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[22/5/2020, 10:19 AM] Ravi Prakash: बड़ मावस( कुंडलिया )
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बड़ मावस यह कह रहा ,बरगद वृक्ष महान
वृक्षों की पूजा रही , भारत की पहचान
भारत की पहचान , वृक्ष देते हैं छाया
पथिक पा रहा छाँव ,अर्थ नवजीवन पाया
कहते रवि कविराय , जेठ में पाते पावस
सदा-सदा आह्लाद , जहाँ पूजा बड़ मावस
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[26/5/2020, 11:24 AM] Ravi Prakash: राज्य सरकारें (कुंडलिया)
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राजा और रियासतें , हुई राज्य सरकार
इनकी डफली है अलग ,इनका स्वेच्छाचार
इनका स्वेच्छाचार , देश खुद को बतलाएँ
हमसे छोटा केंद्र ,रौब कहकर दिखलाएँ
कहते रवि कविराय ,लोग कर लें अंदाजा
यही रहा यदि दौर , राज्य में होंगे राजा
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[26/5/2020, 12:38 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
गुलमोहर फूल (कुंडलिया)
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सजता श्रीहरि का मुकुट ,वह गुलमोहर फूल
जिसने देखा पेड़ यह , पाता कभी न भूल
पाता तभी न भूल ,लाल गाढ़ा चटकीला
जैसे स्वर्ग प्रदत , रूप इसका गर्वीला
कहते रवि कविराय , राह में डंका बजता
सड़क किनारे पार्क , देख लो कैसे सजता
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[28/5/2020, 11:25 AM] Ravi Prakash: आई वर्षा (कुंडलिया)
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आई वर्षा खिल उठा ,धरती का हर अंग
सुखद चली ठंडी हवा ,जेठ रह गया दंग
जेठ रह गया दंग ,अकड़ अब किसे दिखाए
गर्मी का सम्राट , राज अब कहाँ चलाए
कहते रवि कविराय ,ताप ने मुँह की खाई
सबके मन आह्लाद ,लोक – हित वर्षा आई
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[30/5/2020, 11:55 AM] Ravi Prakash: _चित्र पर आधारित कविता_
लड्डू मोतीचूर (कुंडलिया)
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खाने में स्वादिष्ट हैं , लड्डू मोतीचूर
मिलते हैं लड्डू मगर , खाएँ फोटो घूर
खाएँ फोटो घूर ,जश्न फोटो से मनता
लड्डू प्यारे गोल , स्वप्न में खाती जनता
कहते रवि कविराय , चित्र के सुनो बहाने
लड्डू मिलते रोज ,ऑनलाइन में खाने
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[2/6/2020, 9:34 AM] Ravi Prakash: जेब में पिस्टल गोली (कुंडलिया)
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गोली मारी कर दिया , देखो काम तमाम
राजनीति में दिख रहा ,दृश्य आजकल आम
दृश्य आजकल आम , पदों पर गुंडे भारी
उनका चलता राज , लोग जो पिस्टलधारी
कहते रवि कविराय , चली गुंडों की टोली
बोली में बदमाश , जेब में पिस्टल गोली
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[9/6/2020, 3:22 PM] Ravi Prakash: शादी में पचास लोग (दो कुंडलियाँ)
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(1)
होटल वाले रो रहे , बैंकट हॉल उदास
बारातों में रह गए , केवल लोग पचास
केवल लोग पचास , कैटरिंग वाले खाली
बग्घी बैंड बरात , दीखते आज सवाली
कहते रवि कविराय , बंद है धंधा टोटल
घर की छत पर भोज ,आजकल यह ही होटल
(2)
शादी में अब लोग हों , परमानेंट पचास
इस पर ही अब है टिकी , जनमानस की आस
जनमानस की आस ,खर्च पर रोक लगाओ
बेमतलब की शान , लोक को नहीं दिखाओ
कहते रवि कविराय ,भीड़ से है बर्बादी
अपना सत्यानाश , जेब से मँहगी शादी
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[16/6/2020, 12:01 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
डोरी खींचो तान के (कुंडलिया)
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डोरी खींचो तान के ,पूरी ताकत साथ
फिर कुछ करना कब बचा, छोड़ो अपना हाथ
छोड़ो अपना हाथ ,तीर से लगे निशाना
यह साहस का काम ,संतुलन सीखो लाना
कहते रवि कविराय ,जिंदगी रहती कोरी
भीतर से भयभीत ,खींच पाता कब डोरी
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
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[17/6/2020, 12:34 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
समय क्षणभंगुर मानो (कुंडलिया)
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बोली घंटे की सुई , चलती मैं दिन – रात
मैं यह जानूँ क्या कहाँ , किसको कब आघात
किसको कब आघात , समय क्षणभंगुर मानो
संख्याओं का खेल , पेड़ के पत्ते जानो
कहते रवि कविराय ,मिटी अंकों की टोली
पतझड़-सी खामोश ,शून्य हो जाती बोली
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[23/6/2020, 3:21 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
नमन सैनिक बलधारी (कुंडलिया)
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सीमा की जो कर रहे , रक्षा उन्हें प्रणाम
चौकन्ने दिन – रात रह ,जागे जो अविराम
जागे जो अविराम ,नमन सैनिक बलधारी
तुम पर करता गर्व ,देश प्रतिपल आभारी
कहते रवि कविराय ,नहीं व्रत करना धीमा
तुमसे ही अक्षुण्ण , हिंद की पावन सीमा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[24/6/2020, 8:44 PM] Ravi Prakash: हाथ सब खाली जाते (कुंडलिया)
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हारा जीता कौन है ,किसके सिर पर ताज
सब मिट्टी में मिल गए ,राजा रंक समाज
राजा रंक समाज ,हाथ सब खाली जाते
किसकी रही जमीन ,महल किसके हो पाते
कहते रवि कविराय ,चार दिन का जग सारा
किसने जीता .राज , कौन है बोलो हारा
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
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[27/6/2020, 9:34 AM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
नाची मीरा कह उठी ( कुंडलिया) )
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नाची मीरा कह उठी ,नटनागर मैं कौन
मोहन बोलो कुछ कहो ,रहते क्यों हो मौन
रहते क्यों हो मौन ,नेह-रस नित बरसाओ
चाह रही मैं भीग ,गीत मुरलीधर गाओ
कहते रवि कविराय ,बात यह सुंदर साँची
मीरा-सी फिर और ,नाच कोई कब नाची
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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[27/6/2020, 9:29 PM] Ravi Prakash: अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन मुरादाबाद द्वारा आयोजित काव्य बरखा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता हेतु प्रस्तुत है मेरी रचना बरखा (कुंडलिया)।
मैं प्रमाणित करता हूँ कि यह मेरी स्वलिखित, अप्रकाशित एवं प्रसारित रचना है ।
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बरखा (कुंडलिया)
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बरखा ऋतु – सी कौन है ,रानी की पहचान
मानों बूँदे कर रहीं ,छमछम – छमछम गान
छमछम- छमछम गान ,मेघ आ गीत सुनाते
हरियाली चहुँ ओर ,दृश्य नयनों को भाते
कहते रवि कविराय ,राज है जाँचा – परखा
पर अचरज की बात ,आज भी लगती बरखा
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[28/6/2020, 11:22 AM] Ravi Prakash: वर्षा (कुंडलिया)
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वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद
विरहानल में जल उठी ,विरहिन उसके बाद
विरहिन उसके बाद ,बूँद जल ताप बढ़ाती
आते काले मेघ ,आग तन में लग जाती
कहते रवि कविराय ,कौन कहता मन हर्षा
प्रिय के बिना उदास ,प्यास लाती है वर्षा
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[29/6/2020, 10:21 AM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
नारी (कुंडलिया)
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नारी तुम गृह स्वामिनी ,तुम जीवन-आधार
तुममें बसता अर्थ है ,बसा धर्म का सार
बसा धर्म का सार ,नदी-सी निर्मल धारा
तुम प्राचीन नवीन ,सूर्य मुट्ठी में सारा
कहते रवि कविराय ,लोक की जिम्मेदारी
जग का लेकर भार ,दृढ़वती दिखती नारी
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[30/6/2020, 2:47 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
समय नारी का आया (कुंडलिया)
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छूने को नारी चली ,नभ को पुरुष-समान
झूले पर आ झूलती , ऊँची मुक्त उड़ान
ऊँची मुक्त उड़ान ,समय नारी का आया
हँसकर दो अधिकार ,सूर्य ने यह बतलाया
कहते रवि कविराय ,रात दिन होते दूने
लेकर लंबी पेंग ,चली सपनों को छूने
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[2/7/2020, 10:52 AM] Ravi Prakash: त्यागो चीनी माल (कुंडलिया)
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चीनी चीजों से बचो , खुद से करो सवाल
बनो आत्मनिर्भर सदा ,त्यागो चीनी माल
त्यागो चीनी माल ,देश- निर्मित अपनाओ
भारत का व्यापार ,उच्च नभ तक ले जाओ
कहते रवि कविराय ,दवा कड़वी पर पीनी
हँसकर सहो अभाव ,भाव मत देना चीनी
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[2/7/2020, 12:17 PM] Ravi Prakash: जीना बिन टिक टॉक ( कुंडलिया )
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सीखें हिंदुस्तान में ,जीना बिन टिक टॉक
सही किया है लॉक यह ,मौसम में अनलॉक
मौसम में अनलॉक ,मनोरंजन यह भूलें
देसी जितने एप ,गर्व से उनसे फूलें
कहते रवि कविराय ,देश के रँग में दीखें
अपना देश महान ,पाठ केवल यह सीखें
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[7/7/2020, 11:23 AM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
मोबाइल पर ध्यान (कुंडलिया)
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बच्चे पर है ध्यान कब ,मोबाइल पर ध्यान
माँ की ममता इस तरह ,होती लहूलुहान
होती लहूलुहान ,दूध की बोतल रोती
बच्चा गिरा धड़ाम ,शौक में माँ पर खोती
कहते रवि कविराय ,दृश्य यह दिखते सच्चे
माँ खुद में मशगूल ,पड़े औंधे मुँह बच्चे
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[11/7/2020, 12:47 PM] Ravi Prakash: साहित्यपीडिया मुरादाबाद द्वारा
दिनांक 11 जुलाई 2020 को दिए गए
चित्र पर आधारित कविता
गुब्बारे सौ – सौ लिए (कुंडलिया)
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आओ लौटें फिर चलें ,बचपन के दिन संग
गुब्बारे सौ – सौ लिए , जाने कितने रंग
जाने कितने रंग ,पहाड़ों पर चढ़ जाएँ
देखें बादल दूर , मस्तियाँ ले – ले आएँ
कहते रवि कविराय ,देवता वर दे जाओ
तन में फिर उत्साह ,बालपन लेकर आओ
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[13/7/2020, 4:29 PM] Ravi Prakash: चार दिन होता मिलना (कुंडलिया)
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मिलना जग में भाग्य से ,मिलते अच्छे लोग
चार दिवस की जिंदगी ,होते शुभ संयोग
होते शुभ संयोग ,बिछड़ मिलते नर- नारी
पल दो पल आह्लाद ,जीव पाता संसारी
कहते रवि कविराय ,सुमन का जैसे खिलना
नश्वर जग निस्सार ,चार दिन होता मिलना
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[14/7/2020, 2:35 PM] Ravi Prakash: झूला (कुंडलिया)
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झूला सावन बारिशें , काले मेघ फुहार
सजी-धजी हैं नारियाँ ,ऋतु खुद में त्यौहार
ऋतु खुद में त्यौहार ,पवन मस्ती है लाती
नन्हीं – नन्हीं बूँद ,मेघ नभ से बरसाती
कहते रवि कविराय ,बाग पेड़ों को भूला
दुर्लभ कोयल कूक , ढूँढ़ना पड़ता झूला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
[15/7/2020, 9:49 AM] Ravi Prakash: सावन का वरदान (कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★★★★
सूखी है मन की नदी ,खिली धूप चहुँ ओर
बादल आएँ जल लिए ,गरजें अब तो घोर
गरजें अब तो घोर ,बूँद टप – टप बरसाएँ
नभ से पड़े फुहार , गीत भीगे मन गाएँ
कहते रवि कविराय ,देह धरती की रूखी
सावन का वरदान ,भीगती दुनिया सूखी
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
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[15/7/2020, 11:58 AM] Ravi Prakash: लोभ जब खींचे मन को ( कुंडलिया )
~*~~~~~~~”|~~~~”~~~~~~””~*
धन को चाहें निम्न जन ,उच्च लोग सम्मान
कुछ सुख सुविधा जानते ,रहती इनमें जान
रहती इनमें जान ,मान की कीमत जानो
यह सबसे बहुमूल्य ,इसे ही जीवन मानो
कहते रवि कविराय ,लोभ जब खींचे मन को
लाओ बुद्धि विवेक ,तुच्छ ठुकराओ धन को
“” “”~~~””~~~~””””~~~~”~~~”””
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[18/7/2020, 6:10 PM] Ravi Prakash: वर्षा ऋतु (कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★★★★★
रानी ऋतुओं की हुई , वर्षा की पहचान
इसकी चाल अदा अलग ,इसकी अद्भुत शान
इसकी अद्भुत शान , मेघ काले मतवाले
मस्त डोलती वायु ,शाम में खुद को ढाले
कहते रवि कविराय ,गगन से बरसा पानी
हर्षित वृद्ध जवान , देखकर बरखा रानी
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[19/7/2020, 12:19 PM] Ravi Prakash: धन्य श्रोता (कुंडलिया)
★★★★★★★★★
खुलकर ताली से करें ,प्रोत्साहित सौ बार
कवि की कविता चाहती ,श्रोता से सत्कार
श्रोता से सत्कार , खून दो बूँद बढ़ाता
वाह -वाह की गूँज ,शब्द मन को हर्षाता
कहते रवि कविराय ,धन्य श्रोता जो घुलकर
चलते कवि के साथ ,दाद देते हैं खुलकर
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[19/7/2020, 8:03 PM] Ravi Prakash: होती कब बरसात (कुंडलिया)
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आते हैं बादल घने , घिर – घिर आती रात
सूखी है धरती मगर , होती कब बरसात
होती कब बरसात , पेड़ – पौधे मुरझाए
नभ मे उमस प्रकोप , रोग हैं सौ-सौ छाए
कहते रवि कविराय , झूठ बातें बतियाते
काला तन-मन प्राण , मेघ बिन पानी आते
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/7/2020, 9:01 AM] Ravi Prakash: शाही स्वीमिंग पूल (कुंडलिया)
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राजा रानी अब कहाँ , शाही स्वीमिंग पूल
काँटो जैसे हो गए ,थे जो कोमल फूल
थे जो कोमल फूल ,हाल खस्ता सब पाया
गायब हुआ रखाव ,रंग बदरंगी काया
कहते रवि कविराय ,नहीं अब बजता बाजा
अब कब महल नवाब , रियासत रानी राजा
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रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[21/7/2020, 3:33 PM] Ravi Prakash: चित्र पर आधारित कविता
दुनिया का अब टूर ( कुंडलिया )
शादी जैसे ही हुई , बोली दुल्हन हूर
मिस्टर जी लेकर चलो ,दुनिया का अब टूर
दुनिया का अब टूर , सुना पति जी घबराए
रूठ न जाना जान ,बोलकर दौड़े आए
कहते रवि कविराय ,जेब कड़की की आदी
कोरोना का काल ,लाद ली सिर पर शादी
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[22/7/2020, 12:17 PM] Ravi Prakash: बनता कृत्रिम चित्र (कुंडलिया)
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चाहत सबकी है यही ,सुंदर – सी तस्वीर
दर्पण में देखें अगर ,दीखें माखन-खीर
दीखें माखन-खीर ,नजर अलबेले आएँ
यौवन हो अविराम ,रूप की खान कहाएँ
कहते रवि कविराय ,बात यह देती राहत
बनता कृत्रिम चित्र ,पूर्ण होती है चाहत
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[23/7/2020, 9:34 AM] Ravi Prakash: नारी का त्यौहार (कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★★★★★
सावन झूला मेघ पर ,नारी का अधिकार
सुंदर सजती मेंहदी ,नारी का त्यौहार
नारी का त्यौहार ,नारियाँ तीज मनातीं
बूँदें लेकर भेंट ,पास नारी के जातीं
कहते रवि कविराय , रूप वर्षा मनभावन
पकड़े नारी बाँह , देखिए गाती सावन
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[25/7/2020, 10:24 AM] Ravi Prakash: डुबकी में निष्णात( कुंडलिया )
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बिस्कुट डोबो चाय में ,कलाकार का काम
बिस्कुट यदि डूबा नहीं ,होगा जग में नाम
होगा जग में नाम ,चाय को भर – भर लाए
लेकिन पहली शर्त , डूबने से बच जाए
कहते रवि कविराय , लोक से रखिएगा पुट
डुबकी में निष्णात ,लौट आता ज्यों बिस्कुट
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
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[26/7/2020, 7:33 PM] Ravi Prakash: लाइक और कमेंट (कुंडलिया)
??????????
दाता इतने दीजिए ,लाइक और कमेंट
दिखें हमारे होंठ पर ,खुशियाँ परमानेंट
खुशियाँ परमानेंट ,प्लीज यह काम कराएँ
जीतें करें कमाल ,धाक हर ओर जमाएँ
कहते रवि कविराय ,फेसबुक तब ही भाता
लाइक और कमेंट , थोक में देते दाता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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[27/7/2020, 10:04 PM] Ravi Prakash: अंतर्आत्मा की आवाज ( कुंडलिया )
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अंतर में आत्मा बसी ,मिली सड़क पर आज
बोली सुनता कौन है , मेरी अब आवाज
मेरी अब आवाज , न सुन इस्तीफा देता
मेरा प्यारा नाम , कौन अब मुख से लेता
कहते रवि कविराय , हुई मैं अब छूमंतर
राजनीति में मौन , नहीं बसती अब अंतर
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
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