23/33.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
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23/33.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 जिनगी मा बिहान कब होही 🌷
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जिनगी मा बिहान कब होही ।
समस्या के निदान कब होही ।।
जीयत हन इहां मरत कइसे।
जिनगी के उत्थान कब होही ।।
तरक्की आज मेहनत होथे ।
हमरे खुद के मकान कब होही ।।
सपना देखत उमर पहागे।
मनखे के सम्मान कब होही ।।
धर के रेंगथे रस्ता खेदू।
बस सुघ्घर पहिचान कब होही ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
18-10-2023बुधवार