23/24.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/24.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷पसीना ओगरावत रहिथे🌷
1222 122 22
पसीना ओगरावत रहिथे।
करम के गीत गावत रहिथे।।
जुच्छा कोनो नई राहय बस ।
मया ला सोरियावत रहिथे ।।
जिहां दीया घलो हे जगमग।
उहां सबला मन भगावत रहिथे ।।
दया धरमी इहां का करही ।
मने रोवत हँसावत रहिथे।।
परख के देख जिनगी खेदू ।
बसे हिरदे बसावत रहिथे।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
17-10-2023मंगलवार