23/159.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/159.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 जीयत मर जाथे मनखे🌷
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जीयत मर जाथे मनखे।
का का कर जाथे मनखे।।
पानी पसिया हा जिनगी।
पीयत तर जाथे मनखे।।
नीति धरम ल नई जानय।
घीयत सर जाथे मनखे।।
आगी मा मुतथे इहां ।
चारा चर जाथे मनखे।।
दुनिया के हितवा खेदू ।
दुख ला हर जाथे मनखे।।
………….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-11-2023शुक्रवार