23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 काबर भरमावत रथस🌷 22 22 212
काबर भरमावत रथस।
सबके मनभावत रथस।।
निरमोही मैना इहां ।
काबर तरसावत रथस।।
खुद हाँसत दुनिया अपन ।
सबला रोवावत रथस।।
जिनगी के बैरी बनय ।
अपन दुख बतावत रथस ।।
करथे खेदू बस मया।
तै दरद बढ़ावत रथस।।
………..✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
08-11-2023बुधवार