23/108.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
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23/108.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
🌷 गुरतुर तोर बोली हवे🌷
22 212 212
गुरतुर तोर बोली हवे।
भरथे सुघ्घर झोली हवे ।।
कइसे ये बड़े घर इहां ।
नाने नान खोली हवे।।
खंभा ना खड़े रहि सके।
माटी पोल पोली हवे।।
पिचकारी मया के जिहां ।
रंगे रंग होली हवे ।।
बांटे रोज खेदू खुसी ।
संगी अपन टोली हवे।।
………….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
31-10-2023मंगलवार