23. *बेटी संग ख्वाबों में जी लूं*
क्यूँ ना..
कुछ पल, ख्वाबों में जी लूं,
कुछ पुरानी हसीन, यादों में जी लूं।
छोटा सा था मेरा घर- आंगन
जिसमें रही तुम कुछ वर्ष हमारे संग,
पर नहीं वो सदियों से कम।
तुम थी तो हरपल खुशहाली थी,
हर दिन मानों दिवाली थी।
जब-जब तुम मुस्कुराती थी,
हमारे चेहरे पर खुशी छा जाती थी।
अक्सर याद आता है…
तुम्हारा चुपके से आना
” मम्मी तुम बहुत अच्छी हो ”
कानों में धीरे से कह लिपट जाना।
सोचती हूँ…
गर मैं अच्छी थी तो…
तुम क्यों छोड़ कर चली गई,
इतनी दूर कि…
फिर लौट कर नहीं आई।
परन्तु अब तक भी ‘मधु’….
तुम्हे दिल में छुपाती आई,
और …
मैं एक पल भी नहीं भूला पाई।