2288.पूर्णिका
2288.पूर्णिका
डरता वही जिसमें दम नहीं
डरता वही जिसमें दम नहीं ।
हम भी किसी से सच कम नहीं ।।
सूरज जहाँ देता रौशनी ।
मन कहाँ कब अनुपम नहीं ।।
पाकर खुशी खुश है जिंदगी ।
आँखें यहाँ किसके नम नहीं ।।
दुनिया कहे महके चमन अब।
यूं मौत भी आए गम नहीं ।।
अवतरण है खेदू का यहाँ ।
रखते कदम मंजिल तम नहीं ।।
……..✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
4-5-2023गुरुवार