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मैं नहीं बोलता ये कुर्सी बोलती है
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मैं नहीं बोलता ये कुर्सी बोलती है ।
बात दिल की यहाँ ये कुर्सी खोलती है ।।
साफ नीयत रखें अब कहाँ जिंदगी भर।
नासमझ देख ले ये कुर्सी डोलती है ।।
प्यार से जीत है हार है जानते सब ।
आज मधुरस कभी ये कुर्सी घोलती है ।।
साथ में कौन रहता कहीं यूं जमाना।
दाम क्या वजन क्या ये कुर्सी तोलती है ।।
हौसला है जहाँ मंजिलें पाँव खेदू।
चाह हो बस खुशी ये कुर्सी मोलती है ।।
…………✍प्रो .खेदू भारती”सत्येश”
10-3-2023शुक्रवार