22-दुनिया
गिरगिट जैसी चलती दुनिया
हर पल रंग बदलती दुनिया
बेकारी पर ताने कसती
देख तरक़्क़ी जलती दुनिया
तन्हा रहता सच का राही
झूठे संग ये चलती दुनिया
चाहे लाख जतन तुम कर लो
साँचे में कब ढलती दुनिया
बोल दिये गर आईने सा
राह बदल फिर चलती दुनिया
मतलब के सब लोग हैं इसमें
यूँ ही रंग बदलती दुनिया
मत उम्मीद ‘विमल’ तू रखना
मौक़ा पा-कर छलती दुनिया
~अजय कुमार ‘विमल’