मैं चंद्रमा को सूर्योदय से पूर्व सूर्यास्त के बाद देखता हूं
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
युवतियों को देखकर भटक जाता हूँ रास्ता
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
जब घर मे बेटी जन्म लेती है तो माँ बोलती है मेरी गुड़िया रानी
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*एक साथी क्या गया, जैसे जमाना सब गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*