कभी पलट कर जो देख लेती हो,
हौसला न हर हिम्मत से काम ले
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
पूरा जब वनवास हुआ तब, राम अयोध्या वापस आये
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
दिल ने दिल को दे दिया, उल्फ़त का पैग़ाम ।
ना मालूम क्यों अब भी हमको
दोस्तो जिंदगी में कभी कभी ऐसी परिस्थिति आती है, आप चाहे लाख
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
करना क्या था, मैं क्या कर रहा हूं!