2.नियत या नियती
लहर नदी की
टकराई कभी
समुद्र लहर से
बोली
मैं मीठी
क्यों
बनाती नमकीन मुझे ?
लहर समुद्र की
कुछ इतराती
थोड़ा इठलाती
बोली मैं –
लहर सागर की
यह गुण मेरे हैं
समा लेती हूं
सब अपने में
अच्छे या बुरी है
यह मेरी नियति है !
लहर नदी की
फिर
टकराई तभी
समुद्र लहर से
कुछ सकुचाई
थोड़ा घबराई
बोला
समेटना आता है
मुझको भी ।
किनारे का _
हर जल कण,
पर मैं_
कड़वाहट भरती नहीं,
नहीं करती उससे_
कभी कोई छल.
क्योंकि?
जानती हूं मैं –
भरी डाल- रहती झुकी,
खाली तना- खड़ा सीना तान,
छोटा मीठा –
बड़ा नमकीन,
बनाती ?
नियत है।
नीयति नहीं।। ***