2 छोटी कविताएँ
रात शबनमी धूप गुनगुनी
मौसम लेकर आया है ।
रंग बिरंगे फूल खिल रहे
अब उपवन मुस्काया है ।
**********
ठंडक का एहसास बदन मे
निकले शाॅल रजाई हैं ।
तन मन मे उल्लास भर रहा
सेहत मे तरुणाई है ।
**********
हरी भरी हैं शाक सब्जियाँ
रंग बिरंगे स्वेटर हैं ।
मेला झूला सैर सपाटा
सबका मन भरमाया है ।
” गीत ”
सदा दी है तुम्हे प्रिय
हो सके तो आज सुन लेना
नही फिर जब कभी फुर्सत मिले
अनुगूंज सुन लेना !
हृदय मे गूंजते भावों के बादल
छा रहे नभ पर
कभी बरसें जो ये हर बूंद मे
अनुगूंज सुन लेना ।
अभी जो गूंज कर्मों की
वही प्रारब्ध बनती है
इसी जीवन मे जन्मों जन्म की
अनुगूंज सुन लेना ।
गीतेश दुबे ” गीत “