2. खाओ शपथ उन वीरों की
देश की आजादी को,
बर्बाद ना होने दीजिये ।
ये देश हमसभी का हैं,
और हमसब इस देश के ।।
कितनी माताओं की गोद सुनी हुई,
कितने ही बच्चे अनाथ हुए ।
किसी का सिंदुर गया,
तो किसी का राखी गया ।।
ना कल उसे कोई फर्क पड़ा था,
ना आज उसे कोई फर्क पड़ेगा ।
ना कल कोई उसके साथ लड़ा था,
ना आज कोई उसके साथ लड़ेगा ।।
वो वीर था, बलसाली था ।
वो अंग्रेजों की आँखों का, एकदम से लाली था ।।
ऐ नेताओं, ऐ जनताओं !
अपनी आँखों मे जरा, शर्म करो तुम ।
तेरे जैसों के चलते ही, देश मेरा गुलाम था ।।
तेरे बेटा, तेरे चलते ही, देश पर कुर्बान था ।
गुलामी का चोला पहने आज भी हो,
गुलामी का चोला पहले आम था ।
हुकुमत न मानने की सजा, पहले कत्लेआम था ।।
आज तुम आजाद हो और आजादी में जियो ।
नैतिक संबंधों के लिए, बस रस प्रेम का पियो ।।
वर्षों बाद, हमारे चलते ही, देश का ऐसा हाल है ।
नेता और सरकारी कर्मी, दोनों मालामाल हैं ।
किसान और मजदूर कार्यकर्ता,
बस यही लोग बेहाल हैं ।।
खाओ शपथ तुम, उनवीरों की,
जिसने हमें यह आजादी दी ।
माँग सको तो माँगो वरदान, उन शूरवीरों से,
हमें आजादी दीजिए ।
भ्रष्ठ शासन और प्रशासन का,
भक्षण आप ही कीजीये ।
नहीं तो जैसा जज्बा आपमें था,
वैसा ही जज्बा दीजीये ।।
कवि –मन मोहन कृष्ण
तारीख – 21/04/2018
समय – 12 : 43 (दोपहर)