18. तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है
तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है,
फिर न लौट कर इस दुनिया में आना है ।
बस अब बस बहुत हुआ,
अब किसी का भी चेहरा,
इस दिल में कभी नहीं बसाना है ।
तुम्हारी जिंदगी में अब मैं नहीं,
तुम्हारी जिंदगी में अब कोई और सही,
पर मेरे दिल में तुम हमेशा रहोगी ।
मेरा अधूरा ख्वाब बनकर,
मेरे हमनशी, मेरे हमदम,
न कर मुझे याद करके,
मुझपर और एहसान,
ऐसा न हो मुझे पाने की तमन्ना में,
चली जाए तेरी जान ।
मैं भी कोशिश करूँगा तुझे भुल जाने की,
पर शायद मैं भुला न पाऊँ ।
तुम कोशिश न करना हमें भुलाने की,
बल्कि भुला ही देना हमें ।
तेरा दर भले ही मेरे लिए बंद हो जाए,
पर मेरा दर हमेशा खुला रहेगा तेरे लिए,
ये आजमा लेना ।
तेरे शरीर का भुखा नहीं हूँ मैं,
मैं तो प्रेम का प्यासा हूँ ।
जहाँ मिलेगा, जिससे मिलेगा,
पूरा समय, पूरा जीवन बीता दूँगा,
उस रहनुमा के साथ ।
मैं दौलत कमाने नहीं आया,
ना चाहत है हमें दौलत की,
मैं प्यार पाने आया हूँ,
मुझे जरूरत नहीं है किसी औरत की ।
प्यार मिला तो ठीक,
इस धरती के संग पूरी जिंदगी रहना है ।
ना मिला तो रब से गुजारिश बस यही कि,
मेरा ये मिट्टी का तन,
मिट्टी में मिला देना है ।
फिर तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है ।
और ना लौटकर कभी इस दुनिया में,
दोबारा वापस आना है ।।
कवि – मन मोहन कृष्ण
दिनांक – 30/08/2019
समय – 03 : 17 ( रात्रि )