Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2024 · 2 min read

17) ऐ मेरी ज़िंदगी…

ऐ मेरी ज़िंदगी सुन,
सुन तू हाल-ए-दिल मेरा,
मुखातिब हूँ आज तुझी से
ऐ मेरी ज़िंदगी…

सोचा था तुझसे बेहतर, तुझसे बढ़कर,
तुझसे प्यारा, सच्चा हमदम नहीं दुनिया में कोई,
मगर शायद गलत सोचा था।

बदज़ुबानी करनी पड़ेगी तुझसे,
कभी सोचा न था।
ज़ुर्रत न की थी कभी ख़्वाब में भी मगर,
तेरे सुलूक ने मजबूर कर ही दिया,
इंतहा हो गई अब तो
तेरे ज़ुल्म-ओ-सितम की।

हां, तो सुन,
रातें काटी हैं मैंने
तेरे ही इंतज़ार में आज तक,
नींद मेरी नज़र बन कर
दरवाज़े पर टिकी रही आज तक,
कि किसी न किसी बहाने,
किसी न किसी शक्ल में,
तू शायद नज़र आ जाए।
हर पल दस्तक का एहसास होता,
ठिठकती, झिझकती, गौर से सुनती,
खामोशी के सिवा मगर कुछ न सुन पाती।

मायूस होकर उसी लम्हा दिल को समझाती,
नादान दिल, ज़िंदगी कहाँ से दस्तक देती!
यह तो आहट थी
नींद और आँखों की कशमकश की।

ज़िंदगी तो किस्मत वालों को मिलती है,
और फिर ख़ामोशी से आती है
और बदकिस्मती देखकर
ख़ामोश ही लौट जाती है।

सुबह मगर ऐ ज़िंदगी,
अपने दरवाज़े पर तेरे कदमों के निशां देखकर
दिल तड़प उठा।
यहाँ ढूँढा, वहाँ खोजा
मगर तू नहीं थी,
कहीं नहीं थी।

हाँ, मगर तेरा पैगाम ज़रूर था
कि तू आएगी, ज़रूर आएगी
मगर तेरे लिए छोड़ दूँ
अपने दिलबर को मैं।

तो सुन मेरी ज़िंदगी,
दिलबर के लिए तुझे छोड़ दूँ
तो कोई गम नहीं,
तेरे लिए मगर उसे छोड़ दूँ,
हरगिज़ नहीं।
मायूस होकर तुझसे उसे पाया,
पाकर उसे छोड़ दूँ, हरगिज़ नहीं।
वह है तो तू है,
ऐ ज़िंदगी सुन,
वह है तो तू है, बहार है,
वह नहीं तो कुछ नहीं।
हाँ, तेरे लिए उसे छोड़ दूँ,
हरगिज़ नहीं।

तू तो ऐ ज़िंदगी सबको मिल जाती है,
किसी न किसी शक्ल में, कहीं न कहीं,
किसी न किसी बहाने से।

मगर उसके जैसा हमदर्द,
उसके जैसा महबूब माँगे नहीं मिलता।
उससे मुहब्बत के फसाने जहां सुनेगा।तुझसे मुहब्बत करके क्या मिलेगा मुझे,
बता।

नहीं, नहीं चाहिए मुझे तू,
जा, जा चली जा,
वरना तेरी चाह में मैं
कहीं उसे ही न खो दूँ।

अलविदा-अलविदा-अलविदा
————

नेहा शर्मा ‘नेह’

Language: Hindi
1 Like · 78 Views
Books from नेहा शर्मा 'नेह'
View all

You may also like these posts

'हक़' और हाकिम
'हक़' और हाकिम
आनन्द मिश्र
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ये रब की बनाई हुई नेमतें
ये रब की बनाई हुई नेमतें
Shweta Soni
रूबरू।
रूबरू।
Taj Mohammad
सुहासिनी की शादी
सुहासिनी की शादी
विजय कुमार अग्रवाल
2681.*पूर्णिका*
2681.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
Zindagi mai mushkilo ka aana part of life hai aur unme sai h
Zindagi mai mushkilo ka aana part of life hai aur unme sai h
Sneha Singh
चिन्ता और चिन्तन
चिन्ता और चिन्तन
ललकार भारद्वाज
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बहन भी अधिकारिणी।
बहन भी अधिकारिणी।
Priya princess panwar
कोई भी व्यक्ति जिस भाषा,समुदाय और लोगो के बीच रहता है उसका उ
कोई भी व्यक्ति जिस भाषा,समुदाय और लोगो के बीच रहता है उसका उ
Rj Anand Prajapati
तुम्हारे जैसे थे तो हम भी प्यारे लगते थे
तुम्हारे जैसे थे तो हम भी प्यारे लगते थे
Keshav kishor Kumar
ज़बान
ज़बान
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
लो! दिसंबर का महीना आ खड़ा हुआ ,
लो! दिसंबर का महीना आ खड़ा हुआ ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
ছায়া যুদ্ধ
ছায়া যুদ্ধ
Otteri Selvakumar
" डिजिटल अरेस्ट "
Dr. Kishan tandon kranti
कविता
कविता
Rambali Mishra
छठ पूजा
छठ पूजा
Satish Srijan
चांद शेर
चांद शेर
Bodhisatva kastooriya
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मीर की  ग़ज़ल हूँ  मैं, गालिब की हूँ  बयार भी ,
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
Neelofar Khan
बस तुमको बताना भूल गए
बस तुमको बताना भूल गए
Jyoti Roshni
मेरे हिस्से सब कम आता है
मेरे हिस्से सब कम आता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आशा
आशा
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
उपवास
उपवास
Kanchan verma
तेरी निशानियां महफूज़ रखी है दिल के किसी कोने में,
तेरी निशानियां महफूज़ रखी है दिल के किसी कोने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अच्छी सीख
अच्छी सीख
अरशद रसूल बदायूंनी
ढूंढ रहा था
ढूंढ रहा था
पूर्वार्थ
Loading...