( 16) स्त्री हो तुम
प्यार तो सभी करते हैं, पर निभाता है कोई- कोई,
रुला तो सभी देते हैं पर हंसाता है कोई- कोई।
मोहब्बत तो सभी करते हैं निभाता है कोई- कोई,
साथ छोड़ कर बीच में हर कोई चला जाता है,
मरते दम तक साथ निभाता है कोई- कोई।
स्त्री हो तुम पुरष कहता है,मर्दों के सामने मत बोला करो।
ये एहसास तो बचपन से बुढ़ापे तक करवाता,
है हर कोई,
पर स्त्री होना एक वरदान है, ये मान- सम्मान,
देता है कोई- कोई।
दुनिया चाहे कितनी भी आगे निकल जाय,
पर हर युग में स्त्री को खुद को सिद्ध करना पड़ता है।
जमाना चाहे लाख बदल जाए,
पर अपनी सोच बदल पाता है कोई- कोई।