16 नारी
सीता का बलिदान
देता है ज्ञान ।
पतिव्रता स्त्री बनने का
सुख में, दु:ख में
पति राम के संग-संग
चलने का,
पति के नाम की
माला जपने का
जलकर भी
सति सावित्री होने का।
हर नारी-
सीता सी बनने की कोशिश में
अपने को तपाना चाहती है
तब तक, जब तक
उर्मिला समक्ष नहीं आती है।
जिसका प्यार
छिपा रहता है
अंधेरे में उलझे
प्रतिबिम्ब-सा
न पति का साथ
न कोई आह
चौदह बरस बिन पति
सासुओं संग बिताए
न कोई गिला
न कोई शिकवा
न कोई जिक्र
न कोई व्याख्या
आज भी उर्मिला से ही
गर कुछ सीख ले हर नारी
शायद बदल जाए तभी
घर- घर की रंगत न्यारी ।।
——****——-‘