…
नयनों में अगन रखते ये अधर सवाली हैं ,
नाज़ुक नहीं फूलों से गुलशन के माली हैं ,
वो दौर नहीं हम पर कोई हुकुम चलाएगा
इन हाथों ने भी अब तलवार उठा ली है ,,
नयनों में अगन रखते ये अधर सवाली हैं ,
नाज़ुक नहीं फूलों से गुलशन के माली हैं ,
वो दौर नहीं हम पर कोई हुकुम चलाएगा
इन हाथों ने भी अब तलवार उठा ली है ,,