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13 Feb 2024 · 1 min read

15) मेरे जीवन का रोशन पहलू

मेरे जीवन का रोशन पहलू
कौन सा था? कैसा था? याद नहीं।

याद है तो इतना ही
कि इक रोशनी आई थी ज़िंदगी में मेरी…

मुहब्बत की रोशनी मगर खो गई,
खो गई वह भी अँधेरे में
कुछ लम्हा साथ निभा…

कहाँ गई, किधर गई,
कुछ इल्म नहीं।

बस इतना एहसास है
कि बेजान सी हो गई ज़िंदगी
उसके बिना…

मगर मैं जी ली,
उस रोशनी का भ्रम रख कर
जी ली मैं कुछ पल,
लबों पर तबस्सुम का कफ़न ओढ़े
जी ली मैं,
ज़िंदगी में मसर्रतों का बहाना कर
जी ली मैं…

मगर माज़ूर हो गई ज़िंदगी
उसके सहारों के बिना,
वक़्त के साथ धुँधली हो गई उसकी याद,
दुश्वार हो गया ज़िंदगी का सफ़र
इस सहारे के बिना।

अब कुछ है मेरी ज़िंदगी में तो फ़क़त
ज़ुल्मत, ख़ला, दिल-ए-मुज़्तर,
तवील-खलवत,
आस…

आस कि शायद नवाज़िश हो जाए
दिले-मरहूम पर,
निगूँ हो जाए तक़दीर मेरी,
लौट आए वह नायाब पहलू
“मेरे जीवन का रोशन पहलू”
————

नेहा शर्मा ‘नेह’

Language: Hindi
1 Like · 115 Views
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