13. पुष्पों की क्यारी
पुष्पों की क्यारी नोंचकर तुम
गढ़ते हो टूटे दिलों की फौज,
दिल तो उनके भी टूटे ही थे
जो इज़हार में फूल ला ना सके।
उनके हाँ का मतलब अब ना होगा
कह देते अगर अच्छा होता,
इनकार तो उनके भी होते ही थे
जो इज़हार में हाँ कभी पा ना सके।
सर्द रातों में आग मिल ही जाये
ये तो हमेशा मुमकिन नहीं,
इश्क की आग में वो भी जले थे
जो गम की बारिश में रो ना सके।
घुमन्तू होने का मतलब है विचरण
भवसागर के तीक्ष्ण भावों में,
विचरते तो वो भी रहते हैं
जो भवसागर में कभी खो ना सके।।
~राजीव दुत्ता ‘घुमंतू’