11. फ़ना हो गया होता।
ख़बर मेरे दिल की गर तू ने कभी लिया होता।
इस दिल को धड़कने की वजह मिल गया होता।।
राहे मुहब्बत में अकेला जो निकल पड़ा था मैं।
तेरा साथ मिलता तो एक कारवाँ बन गया होता।।
मेरा दिल जो तेरे पास पड़ा था बतौर अमानत।
न ठुकराते तो ये इश्क़ मेरा जवाँ हो गया होता।।
ठुकरा मेरे प्यार को तू ने, दर्द तो दिया है मुझे।
दर्द गर और भी देते, शायद दवा बन गया होता।।
मेरे इश्क़ की तपिश से तेरा पत्थर दिल पिघलता।
तो तू मुझ में और मैं तुझ में फ़ना हो गया होता।।
मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया