11 धूप की तितलियां ….
धूप की तितलियां ….
कभी कभी धूप भी मुझे
पीले पंखों वाली सुन्दर
तितलियों सी लगती है….
बस फर्क इतना है कि ,
इन धूप की तितलियों के लिए
सारा जग ही एक बगिया है ,
ये पत्थर को भी
उतने ही प्यार से छूती हैं जैसे
पंखुडियों को …
और जादूई हैं ये धूप की तितलियां …
इनके छूते ही ,
फूल महक उठते हैं …
कलियां खिल जाती हैं …
ओस को पंख लग जाते है …
फल मीठे हो जाते हैं …
बादल इन्द्रधनुष बनाते हैं …
और उडती जाती हैं ये
धूप की जादूई तितलियां ,
सुबह किरनों की ऊँगलियां थामे ,
उस ऊँचे पहाड़ को लांघें ,
नदी की लहरों संग थिरक कर ,
झरनों से खाईयों में फुदक कर ,
खिलती शामों पर बिना रुके ,
लौट जाती हैं तारों की गुफाओं में …
अगली सुबह तक फिर से
ये धूप की तितलियां ….
– क्षमा ऊर्मिला