11-कैसे – कैसे लोग
कैसे – कैसे लोग धरा पर, करते कैसी बात
चिकनी – चुपड़ी बातों में वे, कर जाते हैं घात
काम करे निःस्वार्थ भाव जो, बोले एक न बोल
स्वार्थ साधने वाला अक्सर, पीटे लेकर ढ़ोल
छोड़ दिये जो मात-पिता को, पूछा कभी न हाल
मंचों से वह सामाजिक बातें, करता बहुत कमाल
राम-नाम का जाप करें कुछ, पीताम्बर को डाल
गूँज रहा है अंतर – मन में, होऊँ मालामाल
मानवता की बातों से कुछ, छेड़ें अद्भुत राग
मौका लगते चट कर जाते, औरों का भी भाग
कुछ बनते नेक-नीयत और, करते हैं व्यभिचार
पर नारी पर नज़र गड़ाते, करें समाज सुधार
नेताओं की बात न करना, बोलें झूठ हजार
वोट माँगने घर – घर आते, बनते सच्चे यार
मिलते ही सत्त्ता की चाभी, करते अत्याचार
जनता के हक पर वो जाते, बैठ कुंडली मार
अजय कुमार मौर्य ‘विमल’