1069 दिन रात
दिन बीतें, जानूँ न कैसे।
रात भी बीत जाए है वैसे।।
दिन रात ही, यह धरती घूमे।
और दिन-रात बनाए ऐसे।।
इस दिन रात के खेल में।
दुनिया बिताए जिंदगी कैसे कैसे।।
दिन रात का चक्कर है निराला।
टिक टिक घड़ी भी चलती वैसे।
दौड़ भाग में दिन-रात कटते।
जिंदगी खेल दिखाए ऐसे।।
कितने ही बीते हैं दिन रात।
कोई गिनती करे भी कैसे।।
बीत रहे हैं जैसे यह दिन रात।
बीती जाती है जिंदगी भी वैसे।।