1014 श्याम की बँसी, राधा की पायल
श्याम की बँसी, राधा की पायल,
से जब, जग गुँजायमान होता है।
राग सजता है, धुन बजती है,
धरती पर स्वर्ग सा गुमान होता है।
नाचने लगती है गोपियाँ जब,
किसे अपना ख्याल होता है।
कृष्णमय हो जाती हैं सब,
तब, ना अपना आप होता है।
जन्म सफल हुआ दिखाई देता है।
जमुना तट ब्रम्हांड होता है।
खोए रासलीला में सब गुम,
सब का हृदय एक समान होता है।
मैं भी बन जाऊं गोपी सा।
खो जाऊँ मैं भी उस धुन में।
ना खबर रहे अपनी कोई।
मेरा भी ये अरमान होता है।