जागरूक होना अनिवार्य #100 शब्दों की कहानी#
छोटी सी नेहा कोने में बैठी रो रही थी । सहेली सुषमा ने कारण पूछा , पर वह रोए जा रही, मैंने उसे प्यार से पूछा, तो उसने रोते हुए कहा मैं ट्यूशन नहीं जाऊंगी,”वो जो सर हैं न मासी, अच्छे नहीं हैं” वे मुझे पढ़ने बुलाते हैं व हर कहीं हाथ लगाते हैं । मुझे वहां जाना अच्छा नहीं लगता ।
मैंने तुरंत ही सुषमा से कहा, ये सही समय है जागरूक होने का । हमें अपने बच्चों को इस संबंध में सचेत तो करना ही होगा । साथ ही इस अपराध के विरूद्ध कड़े कदम उठाने चाहिए ।