10- वास्त्विक्ता
वास्त्विक्ता
बुद्धिमान प्रतिभाशाली आज खाक छान रहे।
तिकड़मी अंगूठा छाप खोटा सिक्का चला रहे ।।
बरगद के नीचे बैठ काग सन्त बन गये।
छल और कपट द्वारा नंग धनी बन गये।।
सत्य और ईमानदारी कम काम आती है।
झूठ और फरेब कर दुनिया बदल जाती है ।।
कलियुग में काले काग हीरे मोती खा रहे ।
सतयुग वाले हंस अब भूखे ही सो रहे ।।
आजकल कुटिलता का नहीं कोई सानी है।
रात दिन की मेहनत से अच्छी बेईमानी है।।
बैंकों से कर्जा लो विदेश भाग जाना है।
मौज मस्ती खूबर करो वापस नहीं आना है।।
कोर्ट और कचहरी में दांव-पेंच चलते रहो।
बढ़िया-बढ़िया भोजन और तेल मालिश करते रहो।।
स्वास्थय का ख्याल रखो रहो ठाठ-बाट से ।
सरकार को बनाओ उल्लू पूरी साठ-गाँठ से ।।
पैसा यदि पास हो तो वकील सब मुट्ठी में।
चालाकी के पाठ पढ़े यदि तुमने माँ की घुट्टी में ।।
“दयानंद”